Book Title: Shaddarshan Samucchay
Author(s): Vairagyarativijay
Publisher: Pravachan Prakashan

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Page 10
________________ कृपा वर्षा : श्री जिनशासन के परम तेजस्वी अधिनायक तपागच्छाधिराज स्मृतिशेष परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा., स्वनामधन्य गच्छाधिपति पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयमहोदयसूरीश्वरजी म. सा., पितृगुरुवर बहुश्रुत मुनिप्रवर श्री संवेगरति विजयजी म. सा. की अनहद कृपावृष्टि, श्रुतभक्ति के सर्व कार्यों में बरसती रहती है। श्रुतसाधना उनकी कृपा का फल है । श्रुत और संयम की साधना में सतत सहयोगी अभिन्नमना गुरुभ्राता मुनिवर श्री प्रशमरति विजयजी को भूलना असम्भव ही है । सम्पादन का अंतिम प्रूफ प. पू. आ. दे. श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. की आज्ञावर्तिनी एवं स्व. श्री रोहिताश्रीजी म. सा. की शिष्यरत्ना विदुषी साध्वीजी श्री चंदनबालाश्रीजीने शुद्ध किया है । आपकी श्रुतभक्ति की भूरिशः अनुमोदना । __ दर्शनशास्त्र के दुर्गम क्षेत्र में जिज्ञासुओं का प्रवेश और प्रवास दोनों सरल रूप से हो यह उद्देश सम्पादन समय मनमें रखा है । जिज्ञासु वर्ग इसका लाभ उठायें और तत्त्व की परीक्षा के द्वारा सत्य को उपलब्ध हो यही कामना । वि. सं. २०५८ श्रा. शु. द्वितीया, शनिवासर व्याख्यान गृह -वैराग्यरतिविजय ३०, जैन मरचन्ट सो. पालडी

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