Book Title: Shabda Sanskar Author(s): Kalyankirtivijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ डिसेम्बर २०१० श्रीउगतीयंशब्दसंस्कार ए ६० ॥ श्रीवीतरागाय नमः ॥ अर्हम् ॥ आज - अद्य अन्यम - अन्यथा काल्हि - कले(ल्ये) एकवार - एककृत्व[:] परम - परेद्यवि बिवार - द्विकृत्व[:] अरीरम - अपरेछु त्रिणिवार - त्रिणिकृत्य(त्रिकृत्वः) आजूनी - अद्यतनी च्यारिवार - चतु[:] कृत्व[:] काल्हूनी - कल्यतनी पंचवार - पञ्चकृत्व[:] परमूनी - परमदिवसीया सुवार - शतकृत्व[:] हिवडानी - आधुनकी (आधुनिकी) एवं वार शतकृत्वस (?) साम्प्रतनी (वारस्य संख्यायां कृत्वस्) हिवडां - आ(अ)धुना एकपरि - एकधा सांप्रति - साम्प्रतम् बिडं परि - द्विधा, द्वैधा, द्वैधं नही तु - नो वा / नो चेत् त्रिहुं परि - त्रिधा, त्रैधा, त्रैधं लगइ - प्रभृति, आरभ्य चिहुं परि - चतुर्धा पाखइ - विना, ऋते सइं परि - शतधा मुहिया - मुधा घणी परि - बहुधा यम - यथा किहां - क्व, कुतः(त्र), कस्मिन् स्थाने तिम - तथा जिहां - यत्र, यस्मिन् स्थाने किम - [क]थं तिहां - तत्र, तस्मिन् स्थाने इणि परि, इम - इत्थं अनेथ - अन्यत(त्र) जईयं - यदा सगलइ - सर्वत्र तहियं - तदा तिमइ - तत्कालम् कहीइ - कदा झटकइ - झट(टि)ति एकवार - एकदा वहिलं - शीघ्रम् अनेकवार - अनेकदा उतावलुं - त्वरितम् सदा - सर्वदा, निरन्तरम् जुउ - प्रथुक् (पृथक्)Page Navigation
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