Book Title: Shabda Sanskar
Author(s): Kalyankirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 24
________________ डिसेम्बर २०१० ३३ न्हाउ - स्नान(त), मज्जन(मज्जित) कापिउं - क्लृप्त पचु - पच्यत(पक्व ?) तापुं - तप्त रचु - रचित विगूउ - विगुप्त संचु - सञ्चित सूतु - सुप्त लीपुं - लिप्त जागु - जागृत लोपुं - लुप्त उठिउं - उष्टितं(उत्थित) उहटिउ - निवृत बइठु - उपविष्ट पाछु वलिउ - पछवीतू वलत(पश्चाद् पइठु - प्रविष्ट वलित ?) नीठउं - निष्ठित पांगुरु - प्रावृत रहिउ - स्थित राखु - रक्षित सामहिउ - सज्जीभूत दीखु - दीष(क्षि?)त सनहिउं - सन्नद्ध लाखु - विक्षिप्त संग्रहउं - संगृहीत घालु - क्षिप्त सासहिउ - संसोढ चालु - चलित जमुं - [] (?) बलु - ज्वलित रूधउं - रुद्ध कलु - कलित पीसुं - पिष्ट नीकलु - नी(नि?)ष्कलित चोरु - चोरित नीसरु - निःसृत चीतq - चिंतित गलिउं - गलित रमउ - क्रीडित छलु - छलित भ्रमुं - भ्रान्त ढलु - लुठित दमु - दान्त पलु - पलित वमिउ - वान्त सांभखें - श्रुत, आकर्णित उपसामु - उपसान्त रुलिउ - रुलित छेदउं - छिन्न वलिउ - वलित भेदउं - भिन्न कापु - कम्पित प्रेरु - प्रेरित थापुं - स्थापित वखाणुं - व्याख्यात व्यापु - व्यापित(व्याप्त) पाउ - पायित

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