Book Title: Shabda Sanskar
Author(s): Kalyankirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 23
________________ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ नमस्करु - नमस्कृत ग्यउ - गत आq - आगत मालुं - मलित पढिउ - पठित, अधीत आचरं - आचीर्ण बाध्यउ - बद्ध, यन्त्रित, कीलित फलिउ - फलित फूलुं - पुष्पित खलहिउं - संवलित जीवं – जीवित, प्राणित दीर्छ - दृष्ट डसिउं - दष्ट मोधू - मोषित तूठु - तुष्ट हरखु - हर्षित(हृष्ट) रिष्ट - तुष्ट, प्रीत मूसु - मुष्ट घसिउं - घृष्ट कसुं - कषित घ्रसु - ग्रसित त्रिसु - तृषित निसु - निस्त(निरस्त ?) परसुं - स्पृष्ट अभ्यसउ - अभ्यस्त वसिउं - उषित ऊससउ - उच्छ्वसित हसु - हसित कीधु - कृत, विहित दीधु - दत्त लीधुं - गृहीत, आ[द] त्त अंगीकर - अङ्गीकृत वीध्यु - विद्ध खाधु - भक्षित दाधु - दग्ध बाधु - बन्धन(बद्ध ?) लाधु - लब्ध मूउं - मृत भरुं - भृत, भरित जरु - जीर्ण झरु - क्षरित वासि - [वा]सित [खाधुं] - भुक्त आदिरु - आदृत धरु - धृत वरु - वृत आवलं - आवृत छावलं, ढाकु - आच्छादितम् सरु - सरित(सृत) प्रसरु - प्रसृत विस्तरउ - विस्तीर्ण उधरु(धरु?) - धृत संहरु - संहृत उदाहरु - उदाहृत उपनउ - उत्पन्न संपनु - सम्पन्न उसंगें - श्रान्त लागु - लग्न

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