Book Title: Shabda Sanskar
Author(s): Kalyankirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan
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अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१
रहावं - स्थापित संभारु - स्मृत कराव्यु - कारित छंडाव्यु - त्याजित मेल्हावं – मोचित नमाडिउ - नामित मोकल्यु - प्रहित पढावु - अध्यापित देखाडिउ - दर्शित तूसव्युं - तोषित वासु - वासित आप्यु - अर्पित लेवराव्यु - ग्राहित ऊठाडिउ - उत्थापित बइसारिउं - उपवेशित काढिउ - निष्कासित जमाडिउ - भोजित भमाडिउ - भ्रामित सूआडिउ - शायित न्हवडाव्युं - स्नापित
सक्तउ - शक्नुवन् पामतु - प्रापन् रूधतु - रुन्धन् जोमतु - जंजान (?) भेदतु - भिन्दान जमतु - भुञ्जान मानत - मन्वान लेयतु - गृह्णन् लुणतु - लुन्वन् जाणतु - जानन् चोरतु - चोरयन् चिंततउ - चिन्तयन् परस्मैपदे संवृत् (शतृ?), आत्मनेपदे आनश्
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होईतु - भवत् देयत - ददत् धरतु - दधत् करतु - विदधत् जागतउ - जागृत (जाग्रत्) मइत् (?) - दे(दी?)व्यत् पोसतु - पोषन् (पुष्णन् ?) वरतु - वृण्वन्
होई - भूत्वा पीइ - पीत्वा रही - स्थित्वा बोली - उक्त्वा जोई - गत्वा देई - दत्त्वा छाडी - हित्वा, मुक्त्वा रमी - रत्वा रूधी - रुन्ध्वा फाडी - भित्त्वा जमी - भुक्त्वा नमी - नत्वा लेई - गृहीत्वा भाजी - भक्त्वा

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