Book Title: Shabda Sanskar
Author(s): Kalyankirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan
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डिसेम्बर २०१०
रामति - क्रीडा
लिपसणुं - लपसावनं (लिप्स्यायनम्) [बकोर] - बर्कर
पटतरुं - प्रत्यन्तर गोई गोसली - गोप्यशलाका डोकरु - डोलत्कर दडउ - कन्दुक
छीडणि - छिद्राटनी पासु - अक्ष, देवकन(देवन) छेकडि - छिद्रकरी जु - यतः
सीराम[[] - शीताशन हीडोलु - दोलन
सुडि - संवृति(तपटी) झीलj - जलकेलि
सीरख - शीत[र]क्षा वटवालणुं - वर्त्मपात्रं(पालनम्) तलाई - तूलिका बहेडउं - द्विघडं(घटकम्) उ(ऊ)सीसुं - उपशीर्ष घरटउ - घरट्ट
सेलावटउं - शिलाव(प)ट अरहिट - अरघट्ट
खाडाइतुं - खंगाइतूं (खड्गवित्त) कूउ - [कूपः]
भथाइतुं - भस्त्रवित्त वावि – वापी
बगाई - जंभाईका (जृम्भिका) खडोखली - दीपिका
गृहली - गोमयफलिका (गोमुखा) तलाव - तटाक, सरस्
कोसीधुं(टुं) - कोषसमृद्धि(द्ध?) नइ - नदी, नम्निका (निम्नगा) जमाई - यामत्रय (जामातृ?) समद्र - अम्भोधि
भाई - भ्रातृ, बन्धु द्र[ह] - हृदः
पिता - पितृ, जनक तीर - तट
माता - मातृ, जननी बूसट - चपेटा
पुत्र - तनय, सुत चुहडी - चंचुप(पु)टिका । पुत्री - तनया, सुता कावडि(जि) - कायमादनी (कायाटनी) फुई - पितृष्वसा गरढउ - गतार्धवयम्
मासी - मातृष्वसा वछीआइत - वस्तुवंत(वित्त) पीतलं - पितृव्य उ(ऊ)सलसीधुं - उश्र(उल्लसित)- माउलु - मातुल सन्धिकम्
भाणेज - भाजे(गिने)यः वेगडउ - विकटशृङ्ग
भत्रीजु - भ्रातृव्य

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