Book Title: Shabda Sanskar
Author(s): Kalyankirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 7
________________ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ [द्वादस] - द्वादशन्, त्रयोदशन्, N चतुर्दशन्, पञ्चदशन्, षोडशन्, सप्तदशन् [अठारस] अष्टादशन् एगुणीस - एकोनविंशति वीस - विंशति एगुणत्रीस - एकोनत्रिंशत् त्रीस - त्रिंशत् एगुणचाली - एकोनचत्वारिंशत् च्यालीस - चत्वारिंशत् पंचास - पञ्चाशत् साठि - षष्ठि सत्तरि - सप्ततिः असी - अशीतिः नेऊ - नवतिः सु - शति (शत) बीजु - द्वितीय त्रीजु - तृतीय चुथु - चतुर्थ पाचमु - पञ्चम छठउ - षष्ट सातमु - सप्तम आठमु - अष्टम नवमु - नवम दशमु - दशम इग्यारमु - एकादशम इत्यादि उरइ-परइ - इतस्ततः भावइतिहां (?) - यतस्ततः किहांनु - कुतः, कस्मात् कांइ - किम् । वली - पुनः पणि - परम् मुडई मुडई - मन्दं मन्दम्, शनी शनी (शनैः शनैः) गाढइं - गाढम् लांबु - प्रलम्ब, दीर्घ टुंकु - तुच्छ, ह्रस्व मोटउ - महान् जाडउ - स्थूल, उपचित, प्रत्यन(ल?) दुबलु - दुर्बल, कृश सोभागीउ – सौभाग्यवान् रलियामणुं - रतिजनकम् उदेगामणुं - उद्वेगजनकम् अबाडूउ - प्रतिकूल सवाडूउ - सानुकूल डाहउ - दक्ष भोलु - मुग्ध ऊचु - ऊचीस्थर (उच्चस्तरम्) नीचु - नीचीस्थर (नीचैस्तरम्) अधिक - अधिक उछउ - हीन अरत-परत-बापसदृश - आकृत्या प्रकृत्या [पितृसदृश अग्रेवाण - अग्रानीक पछेवाण - पश्चा[द]नीक चुकीवटु - चतुःकपपट(चतुष्कपट्ट)

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