Book Title: Satyamrut Drhsuti Kand
Author(s): Satya Samaj Sansthapak
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 229
________________ दृष्टिकाड [२३१ सोचता है कि ठीक है, प्रजा की कमाई से अपने यिक घटना का जोश है या अमुक पद है, इसके पत्नी प्रेम का स्मारक एक वादशाह ने बनवाया वाद समाप्त होजाता है। है, वह भी सिर्फ इसलिये कि वह उसकी प्यारी ७ प्रदीपयश-यह डीपयश के समान है पर पत्नी थी, न कि कोई विश्व हितैपिणी महामहिला। व्यापकता मे कम है। काफी छोट क्षेत्र में इसका इसमे महत्व क्या है । इसप्रकार के यश को सुजी- फैलाव होता है. हा पूज्यता काफी ऊंची होती है। वन यश कहते हैं। यह काफी जीता है और साम्रदायिक क्षेत्र में ऐसे यशस्वी देखे जाते है। विस्तार के साथ जीता है। ___५ जीवन यश- यह यश जीवनयश के छायायश- इस यश में विस्तार है पर समान है सिर्फ विस्तार में कम है। कोई ऐसा उच्चता और स्थायिता नहीं। अनेक नट नटियो काम किया जाय जो चिरकाल तक लोग याद के नाम देश देशान्तरों में फैल जाते हैं, पर उनके रक्खे, पर उसका विस्तार न हो, न पूज्यता बुद्धि बारे में वह भक्ति आदर आदि नहीं होता जो हो । अनक ग्राम नगरों में ऐसी चीजे मिल जाती एक परोपकारी हितैपी के बारे में होता है। उनके हैं जिन्हें शत्तानियों से लोग जानते हैं पर आस रूप और शव से लोग अपनी आने और कान पास के लोग ही जानते हैं। इससे जो यश मिलता सैकना चाहते हैं। और मरने के बाद वे भुला है वह जीवन यश है। दिये जाते हैं, इतना ही नहीं, बहुत से तो लवानी प्रदीपयश- सामयिक वातावरणसे लाभ के बाद ही भुलादिये जाते हैं। इस प्रकार यह उठाकर जो महत्ता और व्यापकता प्राप्त की जाती यश जमीनपर पड़ी हुई घड़ीमर की छाया के है उससे पैदा होने वाले यश को प्रदीप यच कहते समान हनि के कारण छाया यश कहलाता है। हैं। राजनैतिक आन्दोलन में भाग लेकर मनुष्य पलक यश-जो यश थोड़ी देर को थोड़े अल्ली दर दर तक विख्यात होजाता है और से लोगों में कैलता है और उससे वास्तविक लोगो की पूज्य वुद्धि भी मिल जाती है। किसी महत्ता नहीं मिलती। वह पलक मारने सरीखा खास प्रसंगपर अनशन आदि करने से भी ऐसा क्षणिक होने के कारण पलक यश कहलाता है, उच्च व्यापक यश मिलजाता है। राजनैतिक नवा शानदार शादी का उत्सव कर दिया, शान दिखाने बनने से, या राज्यमन्त्री आदि पद पाजाने से भी, के लिये भोज कर दिया, अच्छा जुलूस निकाल था राजनैतिक संस्था का कोई पद पालेने से भी दिया, आदि ऐसे कार्य जिनका प्रभाव स्थानीय इस प्रकार का यश मिलजाता है। पर उसकी और क्षणिक होता है, लोगों में उसके प्रति सिर्फ उम्र बहत थोडी है। हा। जो लोग स्थायी और इष्र्या या आश्चर्य ही पैदा होता है वह पलक यश वास्तविक जनसेवा भी करते है और इसके बाद है। यह बहुत क्षुद्र है। कदाचित शासन आदि का पद भी पाजावे हैं वे १० जिनके जीवन में किसी प्रकार का यश परमयशस्वी होजाते हैं जैसे हजरत मुहम्मद नहीं होता है वह अयश जीवन है। साधारण आदि हुए हैं। पर ऐसे बहुत कम होते हैं अधिक- मनुष्यों का जीवन प्राय ऐसा ही होता है। हाला तर इसी छटी श्रेणी के होते हैं। जैसे प्रदीप के थोड़ा बहुत पलक यश बहुतोंको मिलजाता है। काफी दूर तक तीन प्रकाश देता है पर देता है जिस प्रकार यश जीवन के नव भेद बताये तभी तक, जब तक उसे तेज आदि मिलता रहता गये हैं उसी प्रकार दुर्थश जीवन के भी नव भेद है, तेल समाप्त होते ही बुझ जाना है । इसीप्रकार होते हैं। पर भेदों का क्रम उलट जाता है क्योंकि रसीप यश तमो तक है लव तक अमुक साम. यश पहिले दर्जे का हो तो जीवन सत्र से अच्छा

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