Book Title: Sarva Dukho Se Mukti
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 8
________________ सर्व दुःखों से मुक्ति सर्व दुःखों से मुक्ति बात है। ये तो दो-चार मच्छर काटे तो कौन सी बड़ी बात है?! प्रश्नकर्ता : दो आदमी दुःख देनेवाला रहा तो भी बहुत होता है। दादाश्री : ऐसा? तम किसी को दुःख नहीं दोगे तो बाहरवाला कोई भी दु:ख नहीं देगा। तुमने कभी किसी को दुःख दिया था? दु:ख दिये बिना तो अपने को कोई दु:ख नहीं देता। हमको कोई दु:ख नहीं देता। प्रश्नकर्ता : मुझे विश्वास है कि इस जन्म में मैंने किसी को दु:ख नहीं दिया, फिर भी लोग मुझे दुःख देते है। दादाश्री : हाँ, वो ये जन्म का नहीं होगा, तो वो पीछे का हिसाब होगा। ये जन्म के चोपडे में नहीं मिलता है, ये पिछले चोपडे का है। मगर कुछ न कुछ तो होगा न? वो सब पीछे का चोपडा चल सकता है अभी। तुमको बहुत दु:ख देता है? मारता-पीटता है? जेल में रख देता है? क्या दुःख देता है? देखो, दु:ख तो किसको बोला जाता है कि कोई आदमी आपको खाना नहीं दे तो अपने को दु:ख है, सोने की जगह नहीं मिले तो दःख है, कपड़े पहनने को नहीं मिले तो दु:ख है। तो फिर तुमको क्या कपड़े पहनने को नहीं मिलते? सुख-दुःख का वास्तविक स्वरूप। ये दुनिया में दुःख है ही नहीं। मगर हर कोई आदमी दु:खी है, वो wrong belief से दु:खी है। और सारा दिन क्या बोलता है, 'मैं कितना दु:खी हूँ, मैं कितना दु:खी हूँ।' उसको पूछो कि 'आज खाने का चावल है? तेल है? सब कुछ है, तो तुमको कोई दुःख नहीं है।' मगर wife के साथ झगडा करता है, लडके के साथ झगडा करता है और दुःखी होता है। दुनिया का कायदा क्या है? आपको अगले जन्म में क्या क्या चाहिये। उसका tender भरो। क्योंकि आपका उपरी कोई नहीं है। जो है वह आप खुद ही है। मगर आप जो mile पर है, वो mile की चीज ही आपको मिलेगी, दूसरे mile की चीज नहीं मिलेगी! आप 97 mile पर है तो 97 mile पर जो कुछ आपको चाहिये, वह बोल दो, तो आप बता देंगे कि 'हमको रहने का मकान भी चाहिये, तीन रूम चाहिये।' वो सब लिख लिया। फिर वो ही चीज तुमको मिलती है। तो फिर दुःख कैसे होता है? कि हमारे पास तीन room है और हमारे friend के पास नौ room है। ये दु:ख की शुरुआत हो गई, begining of misery! और tender में सिर्फ wife लिखी थी, मगर देने के समय सास-ससुर, साला-साली, वो सब भी साथ आयेंगे। आपको समझ में आया न? एक औरत के लिए कितनी जिम्मेदारी लेनी पडती है। प्रश्नकर्ता : इस संसार में प्राणी दु:खी क्यों है? इसका निदान क्या है? इसका छूटकारा किस तरह मिले? प्रश्नकर्ता : वो तो सब मिलता है। दादाश्री : तो फिर क्या दुःख है तुमको? तुमको जो दुःख देता है, उसको हमारे पास ले आओ, तो हम बोल देगा कि इसका क्या हिसाब है, इसका हिसाब पूरा कर दो, सब जमा कर दो, खाता बंध कर दो। ऐसा करेगा न? हाँ, बुला लो। हम उसका खाता पूरा करा देंगे। तो सब दुःख पूरा हो जायेगा। ___ इधर आया है, हमको मिला है, तो उसके पास कोई दु:ख रहता ही नहीं। दादाश्री : कोई भी प्राणी को जो दुःख है, तो वो उसकी अज्ञानता से है। चार आदमी ये रस्ते के बदले वो रस्ते पे चले गये तो उनको दु:ख होता है कि नहीं? बस, ऐसा ही दुःख है। अज्ञानता से दुःख है और ज्ञान से सुख है। अज्ञानता से माया का अपनी पर राज हो जाता है

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