Book Title: Sarva Dukho Se Mukti Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Dada Bhagwan Foundation View full book textPage 6
________________ सर्व दुःखों से मुक्ति सर्व दुःखों से मुक्ति व्यवहार की खास दो बातें! प्रश्नकर्ता : हरेक आदमी जो जन्म लेता है, उसका व्यवहार में कर्तव्य क्या है? दूसरी बात भगवान की क्या है कि बिना हक्क की कोई चीज मत लो। बिना हक्क याने कोई भी चीज जो तुम्हारी मालिकी की नहीं है, वहाँ तुम द्रष्टि भी मत बिगाडो। ये लोग रास्ते में घमते हैं तो कोई औरत अच्छी देखी कि उसकी द्रष्टि बिगड जाती है। जो आदमी भगवान को मानता है, वो आदमी तो ऐसा नहीं होना चाहिये। क्योंकि वो औरत दूसरे की है। तुम्हारे लिए बिना हक्क की है, तुम्हारा हक्क नहीं है उस पर। मनुष्य में भी बूरे विचार आये तो मनुष्य में और पशु में क्या फर्क है? द्रष्टि भी बुरी नहीं होनी चाहिये. मन भी बिगडना नहीं चाहिये। नहीं तो उसकी बहुत जोखिमदारी है। बिना हक्क का विषय भुगतना नहीं चाहिये। करान में भी लिखा है कि चार बार शादी करो मगर दूसरे की औरत पर द्रष्टि मग बिगाडो। दूसरे की औरत पर द्रष्टि बिगाडे तो उसे बिना हक्क का भुगतना बोला जाता है। हमारी इतनी बात सब की समझ में आ जाए तो हिन्दुस्तान देवलोक जैसा हो जायेगा। दादाश्री : वो पेड़ होता है, उसका कर्तव्य क्या है? वो खुद से ही जमीन में से पानी पीता है और फल दूसरों को देता है। पेड़ को फिर तुम कुछ बदला देते हो? ऐसे आप सारा दिन सबको सुख देना, किसी को दु:ख नहीं देने का। फिर आपको सुख मिल जायेगा। दूसरा कुछ नहीं, इतना ही समझना है। अभी दुःख आये तो समझ जाने का कि ये पीछे का अपना कोई हिसाब है, उससे आया है मगर अभी तो दूसरे को सुख देने का व्यापार ही करने का है। बुद्धि का दुरुपयोग करेगा तो पीछे mental हो जायेगा। जो सभी लोगों को फसाता है, वो बुद्धि के दुरूपयोग के बिना कोई आदमी को फसा नहीं सकता। आँख का दुरुपयोग हो गया तो फिर अगले जन्म में आँख नहीं मिलेगी। कम दुरुपयोग किया तो आँख मिलेगी मगर उसका दु:ख ही रहेगा और पूरा दर्शन नहीं होगा, ऐसे पूरा फायदा नहीं मिलेगा। हाथ का दुरुपयोग किया तो हाथ नहीं मिलेगा और वाणी का दुरुपयोग किया तो सारी वाणी ही चली जाएगी। सब इन्द्रियों का सदुपयोग होना चाहिये। हक्क का विषय भुगतना चाहिये। बिना हक्क के विषय से बहुत नुकसान हो गया है, सब का mind fracture हो जाता है। औरत का mind fracture हो जाता है और पुरुष का mind भी fracture हो जाता है। अपना हक्क का विषय भुगतने में fear नहीं लगता और बिना हक्क में बहुत fear लगता है, विश्वासघात होता है। जो बिना हक्क का पैसा है, वो भी नहीं लेना चाहिये। कुदरत ने जो कुछ दिया है वो ही तुम्हारा हक्क का है, वो ही तुम्हारे लिए है। ये सब secondary stage की बात कही। वो real की बात है, वो stage तो बहुत ऊँचा है। वो real जानने का हो और आपकी समझ में आ जाये तो हमको कोई हरकत नहीं है, हम वो भी बता देंगे। सब बता देंगे। ज्ञान भी दे देंगे और self realisation भी हो जायेगा। मारने का अधिकार किसे? Creation है, उसके अंदर भगवान नहीं है। Creation तोPage Navigation
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