Book Title: Sarva Dukho Se Mukti
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 12
________________ सर्व दुःखों से मुक्ति सर्व दुःखों से मुक्ति है। अब घर को जाकर औरत को, बच्चों को बोल दो कि, 'अपने को भगवान ने बहुत दिया है और अपने को बहुत सुख है।' ऐसा बोलकर सब साथ में आराम से चाय पीओ। ये दुनिया अपनी ही है!! दादाश्री : भूतकाल, past time gone for ever ! Don't worry for past time ! जो भूतकाल हो गया, उसके लिए तो कोई foolish आदमी भी नहीं सोचता। तो भूतकाल gone, वो सोचने का नहीं और भविष्यकाल 'व्यवस्थित' के ताबे में है। तो हमें क्या करने का? वर्तमान में रहने का। अभी हम इधर आये न, तो हम तुम्हारे साथ बात करते है, वो आराम से सुनने की। दूसरी कोई भी चीज की तलाश नहीं करने की। ऐसा वर्तमान में रहने का। अंग्रेजी में जो बोलते है कि 'work while you work & play while you play'. तो वो foreign में कितने आदमी को ऐसा रहता है और इधर किसी आदमी को एसा नहीं रहता, क्योंकि यहाँ विकल्पी लोग है। जिसके हाथ में वर्तमान आ गया, उसको भगवान से भी ऊँचा पद कहा जाता है। क्या आपको दुःख है? कहाँ से ऐसा ज्ञान लाये? ये overwise का ज्ञान आप कहाँ से लाये? सारे गाँव की चिंता लेकर फिरते हो !! किस लिए बुद्धि चलाते हो? बुद्धि के कहने पर चलेगा तो एक दिन बुद्ध हो जायेगा। जितने लोग बुद्धि को डेवलप करने को गये की सब बुद्ध हो गये। बुद्धि तो लाइट (प्रकाश) है मात्र । लाइट से काम लेने का है। हम ज्ञानी होकर भी हमारे पास बुद्धि बिलकुल नहीं है, हम अबुध है और आप तो बुद्धि चलाते हो, उसको डेवलप करते हो। बुध्धि को ज्यादा डेवलप मत करो, नहीं तो बुद्ध हो जाओगे। बुद्धि तो अंदर बोले कि, 'अपने को फ्लेट नहीं देगा, को क्या हो जायेगा?' इसमें क्या होनेवाला है?! तुम्हारे फ्लेट में वो रहता है, तो वो उनकी मरजी की बात है? उसको संडास (पाखाना) जाने की शक्ति ही नहीं है। तो रहनेवाला क्या करेगा? वो भी कर्म का गुलाम है। ये संसार में किसी का गुनाह नहीं है। जिसको अड़चन आती है, उसका गुनाह है। आपको परेशानी हुई तो वह आपका गुनाह है। इसमें आपका पाप है और सामनेवाला का गुनाह नहीं है, उसका पुण्य है। आज शाम को खाना तो मिल जायेगा न? आपको खाने-पीने की तकलीफ नहीं है न? वो मिल जायेगा तो बहत हो गया, आज हम दिल्ली के बादशाह है। कल की बात कल हो जायेगी। कल तो नींद से जाग गया और बिस्तर में से उठा तो समझ जाने का कि आज का दिन मिल गया। दूसरा आगे का विचार ही नहीं करने का। भगवान क्या बोलते है, 'मैं उसके लिए सोचता हूँ और ये अपने खुद के लिए सोचता है, तो फिर मैं छोड देता हूँ।' भगवान के पास बच्चे की तरह रहना चाहिये। अपने हाथ में लगाम नहीं लेने की। और बुद्धि को बोलो कि, 'अब तुम्हारी बात हम सुननेवाले नहीं। हमको तुम्हारी सलाह पसंद नहीं आती है,' ऐसा बुद्धि का insult कर देने का। प्रश्नकर्ता : हमने कितनी प्रामाणिकता से नौकरी की है. फिर भी आजकल हमारे सिर पर परेशानीयाँ बहुत है, कभी कभी रात को नींद भी नहीं आती। आप कुछ रास्ता दिखाईये। दादाश्री : अरे, किस लिए परेशानीयों की चिंता रखकर फिरते हो? सारी दुनिया की परेशानीयाँ सिर पर रख ली, ये तो overwiseness है। Come to the wiseness !! और बोलो कि 'हमको कुछ तकलीफ नहीं। हमारे जैसा कोई सुखी आदमी नहीं है।' रात को इतनी खीचड़ी और थोड़ी सब्जी मिली तो फिर सारी रात बूम नहीं लगायेगा। आपने प्रामाणिकता से service की है, फिर आपके पास भगवान का सर्टिफिकेट है, नहीं तो ये काल में ऐसा सर्टिफिकेट कहाँ से लाये। देखो न, फिर भी सिर पर कितना बोज लेकर फिरता

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