Book Title: Sarva Dukho Se Mukti
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 25
________________ सर्व दु:खों से मुक्ति ४० सर्व दुःखों से मुक्ति क्या आप शंकर के भक्त हो? दादाश्री : चिंता-worries होती है, तो क्या दवाई ले आते है? प्रश्नकर्ता : भगवान को याद करते है। दादाश्री : कौन से भगवान? प्रश्नकर्ता : कोई भी दिल में आया, उनका नाम लेते है। कभी शंकर बोलते है, कभी विष्णु। दादाश्री : भगवान तो एक ही तय करना चाहिये। सब भगवान को रखेंगे तो कौन तुम्हारा काम करेगा? आप एक भगवान को तय कर लो। प्रश्नकर्ता : तो फिर शंकर भगवान। दादाश्री : हाँ, तो विष पीया था कभी तुमने? वो शंकर भगवान तो जहर पीकर शंकर हो गये। तो आपको भी कुछ पीना चाहिये न? तो फिर आप भी शंकर हो जायेंगे। हमने जहर पीया, तो हम शंकर हो गये। प्रश्नकर्ता : मतलब किसी तरह का दुःख वैसे जीवन में होता रहता है। दादाश्री : हाँ, तो जैसे cold drink पी जाते है, ऐसे यह ज़हर आराम से पी सकते हो? वो आराम से पी लेने का। उसके लिए खराब ध्यान भी नहीं करना चाहिये, प्रतिकार भी नहीं करना चाहिये और इसको cold drink की तरह पी लेने का। तो फिर इससे शंकर हो जाओगे। It is also a cold drink to be a shankar ! धीरे धीरे जैसे cold drink पीते है ऐसे आराम से पीने का। एकदम पीयेगा तो आपको उसके पर रूचि नहीं है, उसका भय लगता है, ऐसा मालूम हो जायेगा। प्रश्नकर्ता : लोग कहते है कि शंकर भगवान की जटा है और उसमें से गंगा बहती है। तो लोग ये विश्वास करते है फीर भी किसी ने देखा तो नहीं है। दादाश्री : वो तो अवलंबन है। वो सब प्राकतिक गण है। वो help करता है। शंकर के स्वरूप समझने की जरुरत है। वो लिंग है न, उसके दर्शन करते है। लिंग वो शंकर का स्वरूप नहीं है। शंकर का स्वरूप तो कल्याण स्वरूप है और मोक्ष स्वरूप है। ऐसे शंकर के दर्शन हो जाये तो काम हो जाता है। शंकर के दर्शन करने की सबको इच्छा होती है, किन्तु बात समझ में नहीं आती। हम शंकर के दर्शन करा देता है। कोई शंकर की भक्ति करे, कोई माताजी की भक्ति करे, ये सब लोक व्यवहार है। बचपन में जो संजोग मिलते है, उसके अनुसार व्यवहार करता है और उससे संसार चलता है और अपना मन भी ठीक रहता है। मोक्ष में जाने के लिए तो अंदर बैठे है वो ही भगवान को पहचानना होगा। अंदर जो है वो ही सबसे बड़े महादेव है। अंदरवाले महादेवजी की कभी भक्ति की थी? A . कभी तुम्हारी औरत तुमको जहर देती नहीं? तुमको ऐसा नहीं बोलती कि, 'तुम्हारे में अक्कल नहीं है। तुम मूर्ख आदमी हो, तुम अच्छे आदमी नहीं हो' ऐसा तैसा? प्रश्नकर्ता : कभी कभी एसा कहती है। दादाश्री : वो राजीखुशी से पी लेना, वो ही ज़हर है। ऐसा ज़हर पी लेने का, तो आप भी शंकर हो जायेंगे। शंकर को कभी खुश करना हो तो तुमको कोई गाली दे दे, तो प्रतिकार नहीं करने का। उसको निगल जाने का। कोई कैसा भी ज़हर दे तो पी जाने का। तुमको कोई जहर का glass देता है? प्रश्नकर्ता : नहीं।

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