Book Title: Sarva Dukho Se Mukti
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 43
________________ सर्व दुःखों से मुक्ति सर्व दुःखों से मुक्ति किया और रूपये आपको नहीं दिये, तो वो आपकी भूल है, उसकी भूल नहीं है। आप आज पकडे गये। इसलिए उसको गाली मत दो। भगवान ऐसा बोलते है कि आपकी भूल से ही वो आपको मिल गया। वो तो आपके १०० रूपये का नुकसान करने के लिए निमित्त है। प्रश्नकर्ता : लेकिन दादा, अभी ये संसार में हम रहते है तो ऐसा हर बार छोड देने से काम कैसे चलेगा? दादाश्री : नहीं चलेगा तो फिर क्या करोगे तुम? प्रश्नकर्ता : देखिए, हमारी होटेल है। उसमें झगडे करनेवाले लोग भी आते है। अगर उनको रोकेंगे नहीं, तो वो हमेशा झगडे करते ही रहेंगे। दादाश्री : उनको तो रोकना ही चाहिये। रोकने में कोई हर्ज नहीं है। मगर जिसने मार खाया उसकी भूल है। आपको मार दिया तो आपकी भूल है। जो सहन(बर्दाश्त) करता है, उसकी भूल है। प्रश्नकर्ता : तो फिर सहनशीलता कितनी हद तक आदमी को रखनी चाहिये? दादाश्री : सहनशीलता रखने की जरूरत ही नहीं। सहनशीलता ज्यादा रखेंगे तो spring की तरह ऊछलेगी और झगडे हो जायेंगे। सहनशीलता कायदेसर (नियमानुसार) नहीं है। प्रश्नकर्ता : इसका मतलब यह कि कर्म तो करते ही जाना? दादाश्री : कर्म तो करना ही है। कोई गुंडा आये तो बोलने का कि 'हम तुमको मार देगा।' 'हम मार खायें' ऐसा नहीं करने का। लेकिन उसके सामने हो गये, फिर जिसने मार खाया उसकी भूल है। एक आदमी स्कूटर पर जाता है और सामने से एक कार टकरा गई और इसका पाँव तोड दिया, तो वहाँ पर किसकी भूल है? जिसका पाँव तूट गया उसकी भूल है। कारवाला तो जब पकडा जायेगा तब उसकी भूल है। मगर स्कूटरवाले को उसकी भूल हो गयी थी, उसका फल मिल गया। प्रश्नकर्ता : लेकिन उसकी भूल कैसे, दादाजी? दादाश्री : पूर्वभव की भूल है, आज उसको फल मिल गया। वो सबको क्यों नहीं मिलता? ये हिसाब है। ये सब आपको मिला है, हम आपको मिले है, ये पूर्वभव का हिसाब है। आपको कुछ समाधान हुआ क्या? प्रश्नकर्ता : हाँ, हो गया। दादाश्री : ये मच्छर है वो कभी दंश लगाता है, तो आदमी क्या करता है? उसको मार देता है। वो 'बबूल का शूल' होता है और ऐसा रास्ते में पड़ा है और आप बिना चप्पल चलते है, तो वो पाँव ऐसा उसके उपर आ गया तो पाँव में लग गया, तो उसके लिए कौन गुनहगार है? वहाँ पर तो मच्छर गुनहगार है, इसके लिए उसको मार दिया लेकिन इधर वो शूल पाँव के अंदर चली गयी, वहाँ कौन गुनहगार है? प्रश्नकर्ता : हम खुद ही गुनहगार है। दादाश्री : हाँ, ऐसे ही है। आपकी ही भूल है। जो कोई आपको दु:ख देता है वो सब आपकी भूल से ही देता है और सुख देता है वो भी आपने जो सुख दिया है, तो सुख आता है। आपकी कुछ भूल है, इसलिए दु:ख है। हमको कोई द:ख नहीं है, क्योंकि हमारी कोई भूल नहीं है। अपनी भूल से छूटना कैसे? दूसरे को कोई अड़चन नहीं हो ऐसा होना चाहिये और अपनी भूल से किसी को परेशानी हो गई तो क्या करने का कि उसके अंदर

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