Book Title: Sarva Dukho Se Mukti
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ सर्व दुःखों से मुक्ति २७ सर्व दुःखों से मुक्ति था? अपने अन्डरहेन्ड को जो बोलते है और उसके साथ गुस्सा करता है, वो बिलकुल पाशवता है। अन्डरहेन्ड की तो रक्षा करनी चाहिये। वो हमें बड़ा मानता है, वो हम से तो बेचारा छोटा है, इसलिए उसकी रक्षा करनी चाहिये। आपका boss है कि नहीं? प्रश्नकर्ता: हाँ, boss है न। इससे आदमी आगे जाता है, मगर वो ही पूरी सच्ची बात नहीं है। सच्ची बात तो यही है कि जागृति पूरी होनी चाहिये। जागृतिपूर्वक आगे जाना चाहिये। जागति के लिए ही हिन्दुस्तान में मनष्य का जन्म है। ये तो लोग नींद में रहते है और हररोज औरत के साथ झगडते है, बोस के साथ झगडते है, अन्डरहेन्ड के साथ झगडते है। आप कभी अन्डरहेन्ड के साथ झगडते है? प्रश्नकर्ता : हाँ, होता है कभी। दादाश्री : जो अपना अन्डरहेन्ड है, उसकी तो रक्षा करनी चाहिये। जिसकी रक्षा करने की है, उसके साथ ही लड़ते है, तो वो जागृत कैसे बोला जायेगा? प्रश्नकर्ता : वो तो नींद में है उसको जागृत करने के लिए हम लड़ते हैं। दादाश्री: अरे, उसके साथ लड़ते है, वो ही अजागृत है। वह तो अपनी निर्बलता है। जो छोटे आदमी को दंड देता है, अपने अन्डरहेन्ड को दंड देता है, वह तो उसकी निर्बलता है। बोस को क्यों दंड नहीं देते हो? बोस जब भी बोलते है, तब सुन लेते है। ये क्या तरीक़ा है? बोस को भी दंड दो, उसको भी जागृत करो न! उसको बोलो कि 'तुम तुम्हारी औरत के साथ लड़कर आया है और इधर गुस्से में हमें क्यों सताते हो?!' ऐसा स्पष्ट बोलो!! लेकिन अन्डरहेन्ड को ही सभी सताते है, वो जागृत की निशानी नहीं और इसमें सारा दिन बंधन ही हो रहा है, वो भी मालुम नहीं है। इसमें फिर आदमी जानवर में जायेगा, ये भी मालुम नहीं उसको। क्योंकि वो पशु होने का cause चार्ज करता है, तो effect पशु की हो जायेगी। Cause मनुष्य का करे तो मनुष्य होता है, देव का cause करे तो देवलोक में जाता है, नर्क का cause करे तो नर्कगति में जाता है। जैसे जैसे cause करता है, ऐसी ऐसी effect होती है। आपने कभी पाशवता का cause किया दादाश्री : कभी गुस्सा करता है? बोस को उसकी औरत के साथ कभी झगडा हो गया तो इधर ओफिस में आकर उसका क्रोध हम पर निकालता है। देखो, ऐसी बात है। तो हम आपको ऐसा protection दे देंगे कि आपको कुछ दुःख होगा ही नहीं। फिर ओफिस में बैठकर भी समाधि रहेगी, बोस गाली दे तो भी समाधि नहीं जायेगी। ये ज्ञान मिल जायेगा तो फिर तुम्हारा कोई बोस ही नहीं रहेगा। वो 'रविन्द्र' को बोस रहेगा, तुम्हारा खुद का बोस नहीं। तुम खुद और रविन्द्र दोनों अलग हो जाओगे और अलग ही काम चलेगा सब। फिर औरत के साथ रह सकता है, लडके की शादी भी करा सकता है और सिनेमा देखने को भी जा सकता है। व्यवहार सब कुछ कर सकता है। कुछ भी त्यागने की जरूरत नहीं। इधर त्याग तो अहंकार और ममत्व का हो जाता है, फिर त्याग करने की कोई जरूरत ही नहीं। प्रश्नकर्ता : इस व्यवहार में रहकर भी अलिप्त रहना चाहिये। दादाश्री : हा, ऐसा अल्पित हो जाता है। हिन्दस्तान में लोगों को सच्चा मार्ग नहीं मिला। इसलिए सब मोह में डूब गये। इधर मार्ग नहीं मिलने से लोग उधर चले जाते है। सच्चा मार्ग मिले तो हिन्दुस्तान के लोग एक घंटे में भगवान हो सकते है। भगवान किसको बोला जाता है? आदमी धंधेवाला हो या कुछ भी करता हो, मगर जो आदमी को 'कढापा-अजंपा' नहीं होता, वो भगवान बोला

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47