Book Title: Saptatishat Sthana Prakaranam Part 1
Author(s): Ruddhisagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 318
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५९ ) त्वारिंशत् ।। षट्त्रिंशत् त्रिशतंच, पञ्चविंशतिः षड्विंशति द्वाविंशतिः ॥ २५६ ॥ अष्टादशषोडशपञ्चदश, चतुर्दश त्रयोदशशतान्यवधिज्ञा निनः [ः ॥ लक्षत्रयस्त्रिंशत्सहस्राणि चत्वारि शतानि सर्वाङ्के ॥ २५७॥ चउदस पुवीसड्डा - सगयाला १ सत्तवीसवीसहिआ २ । सडिगवीसं ३ पनरस ४, चउवीसं ५ तहतिवीससया ६ ।। २५८ | तीसहियवीस ७ वीसं ८, पनरस ९ चउदस्य १० तेर ११ बारसया १२ ॥ इक्कार १३ दस १४ नव १५ ट्ठय १६, छसयासयरा १७ छदसअहिआ १८ ।। २५९ ।। छच्चसयाअडसड्डा १९, पणद्ध २० पंचम २१ तओसयाचउरो २२ ॥ अध्धु २३ तिसय २४ सव्वे, चउतीससहस्स दुगहीणा ॥ २६० ॥ चतुर्दशपूर्विणः सार्द्धसप्तचत्वारिंशत् सप्तविंशतिविंशतिरधिका | सार्द्धकविंशतिः पञ्चदश, चतुर्विंशतिस्तथा त्रयोविंशतिशतानि ॥ २५८ ॥ त्रिंशदधिकविंशतिर्विंशतिः, पञ्चदश चतुर्दश त्रयोदश द्वादशशतानि || एकादशदशनवाष्टौ च षट्शतानिसप्ततिः दशाधिकानि ॥ २५९॥ षट्शतान्यष्टषष्टिः, पञ्चार्द्धपञ्चमंततः शतानि चत्वारि ॥ सार्द्धत्रीणि त्रिशतं सर्वे चतुस्त्रिंशत्सहस्राणि द्विहीनानि ॥ २६० ॥ J " वीससहस्सा छसया १, वीसंचउसय २ गुणीस अट्ठसया ३ ॥ इगुणीसठार चउसय ५, सोलट्ठसय ६ पनरतिसया ७ ।। २६१ ॥ चउदस ८ तेरस ९ बारस १०, एगारस ११ दस १२ नव १३ १४ सगसहसा १५, सड्डी १६ इगुवन्नसया For Private And Personal Use Only

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