Book Title: Sanskrit Sopanam Part 03
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company

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Page 94
________________ ॥ ॥ ॥ ॥ प्रशसित = प्रशंसा करने वाला (admirer) यशस् = यश (fame) प्र+सृ (सर) = फैलना (to spread) निर्भय = निडर (fearless) तेजस्विन् = तेजस्वी (illustrious) श्रद्धावत् = श्रद्धालु (full of faith) कर्मयोगिन् = कर्मयोगी र (one who believes in selfless action) दरिद्रदेवः = गरीबों को देवता मानने वाला (one whose god is the poor) समुद्रः = समुद्र (ocean) मध्यः = बीच (middle) मन्दिरम = मन्दिर (temple) उद्घाटनम् = उद्घाटन (inauguration) उपसर्ग-युक्त धातुः प्र + सृ (सर) (2) रूपाणि पूर्व-किम् के समान (थोड़े अन्तर के साथ) (like किम् with a slight difference), (पृष्ठ 96-97) वयस्, तपस्, यशस्-'पयस्' के समान (like पयस्), (पृष्ठ 96) प्रशंसितृ-'दात के समान (like दातृ), (पृष्ठ 95) तेजस्विन, कर्मयोगिन्- शशिन् के समान (like शशिन्), (पृष्ठ 95-96) श्रद्धावत्-'भगवत्' के समान (like भगवत्) (पृष्ठ 94-95) विशेषणानि स्त्री० नपुं० समाप्तः समाप्ता समाप्तम् प्रशंसिता प्रशंसित्री प्रशंसित निर्भयः निर्भया निर्भयम् तेजस्वी तेजस्विनी तेजस्वि श्रद्धावान् श्रद्धावती श्रद्धावत् -देवी -देवम् मुहावरा (Idiom) पूर्वस्मिन् वयसि पुं० -देवः 89

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