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4. तर-तम-प्रयोग-गुणवाचक विशेषणों के मूल रूप के बाद क्रमशः तर या तम का प्रयोग करके उत्तरावस्था या उत्तमावस्था के रूप बनाए जाते हैं। दो की तुलना में तर का प्रयोग होता है और दो से अधिक की तुलना में तम का (तर and तम are used to form comparative and superlative adjectives)
नद्याः जलात् कूपस्य जलम् मधुरतरम् । फलेषु आम्रम् मधुरतमम् ।
5. भवत्-प्रयोग-भवत् आदरसूचक मध्यमुरुष सर्वनाम है। इसकी क्रिया सदा प्रथम पुरुष में आती है। (भवत् is a second person pronoun indicating respect, but it always takes third person verb.)
भवान् गच्छति । भवन्तः पठन्ति । भवान् गच्छसि अशुद्ध रूप है।
6. तस्- (तः)-प्रयोग-प्रायः पञ्चमी विभक्ति के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। संज्ञा या सर्वनाम के मूलरूप के बाद इसे लगा दिया जाता है (तस् (तः) is added to nouns or pronouns and gives the sense of latit vibhakti).
हिमालयतः गंगा निर्गच्छति । सः नदीतः जलम् आनयति ।
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