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आवर
४५६ ...दशमगाथा तद्व्याख्यानं च
४६५ ...केवलिमुक्ति के असम्भवदोष का परिहार४५६ ...ज्ञान-दर्शन अभेदपक्ष में सर्वज्ञता की घटमानता | दिगम्बर पूर्वपक्ष ४५७ ...ज्ञान-दर्शनोपयोगविषये पूज्यानां मतत्रयम् - | ४६६ ...सुनिश्चितरूप से बाधकप्रमाण का असम्भव एकादशगाथा
बलवान्- दिगम्बर ४५७ ...श्रीजिनभद्रगणि-मल्लवादि-सिद्धसेनदिवाकरसूरि | ४६६ ...तीन विकल्पों से कवलाहार का निरसन - के मतभेद
दिगम्बर ४५७ ...आवरणक्षय के बाद उपयोगभिन्नता नहीं |४६७ ...स्वाभाविक तीर्थस्थापनप्रवृत्ति के प्रश्न का उत्तर ४५८ ...एक उपयोग की साकार-निराकारोभयग्राहकता | - दिगम्बर अविरुद्ध
|४६८ ...दिगम्बराभिप्रायनिरसनम् व्याप्त्यभिप्रायश्च - ४५८...गाथा-१२ भेदपक्ष में अदृष्ट/अज्ञात का भाषण | श्वेताम्बरः दोषरूप
४६८ ...दिगम्बरमतनिरसनारम्भ - श्वेताम्बर उत्तरपक्ष ४५९ ...गाथा-१३ भेदपक्ष में केवली में असर्वज्ञता की | ४६८ ...क्षयोपशम क्रमोपयोग का कारण न होने की प्रसक्ति
| शंका - दिगम्बर ४६० ... गाथा-१४, भेदपक्ष में केवलदर्शन के आनन्त्य | ४६८ ...कारणसामग्री बलवती होने से समकालोत्पत्ति का लोप
___- श्वेताम्बर उत्तर ४६० ...यौगपद्यवादी के मत में दर्शन में आनन्त्य की | ४६९ ...बलवती कारणसामग्री से कार्योत्पत्ति अवश्य उपपत्ति
४७० ...केवलि-कवलाहारबाधक-साधक प्रमाण निदर्शनम् ४६१ ...गाथा-१५, क्रमवादपक्ष में शक्तितः ४७० ...केवली में भुक्ति का कारण क्षुधावेदनीय का अपर्यवसितत्वादि की संगति
उदय ४६२ ...छद्मस्थ-केवलिनोः वैजात्यमिति दिगम्बरपक्षः | ४७० ...केवलि में दिगम्बरमान्य अतज्जातीयत्व की ४६२ ...पंचज्ञानाभाव की तरह उपयोगद्वयाभाव- | समीक्षा अभेदवादी
| ४७१ ...दिगम्बर के औदारिक-आहारित्वादि कुतर्कों का ४६२...छदमस्थ में वह केवली में भी हो- यह नियम निरसन नहीं दिगम्बर
४७२ ...विग्गहगइ-सूत्र कवलाहारस्थापक ४६३ ...केवलिकवलाहारनिषेधः - दिगम्बरः ४७३ ...कवलाहार के विना देशोनपूर्वकोटी पर्यन्त ४६३ ...केवली में कवलाहारनिषेधक युक्ति
शरीरस्थिति असम्भव ४६३ ...आहारीसूचक सूत्र लोमाहारविषयक | ४७३ ...धूम से अग्नि-अनुमान लोपापत्ति ४६४ ...कवलाहार के विना शरीरस्थितिभंगकल्पना | ४७४ ...धूम से अग्नि-अनुमान के समर्थन की प्रस्तुत अयुक्त
में तुल्यता ४६४ ...कवलाहारविरह में शरीरस्थिति का कालनियम | ४७५ ...केवली की निराहार शरीरस्थिति की सीमा
के सूचक सूत्र ४६४ ...केवलिमुक्ति के असम्भवदोष का आपादन - | ४७६ ...मुक्तिलोप की आशंका पर विकल्पद्वय का प्रत्युत्तर श्वेताम्बर
| ४७७ ...विग्गहगइ... सूत्रों से कवलाहार की सिद्धि
नहीं
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