Book Title: Sanatan Jain Mat
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Premchand Jain Delhi

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Page 36
________________ तथा अन्य भी नशे यथाशकि न लेने का उधन करना चाहिये । क्योंकि मद्य जीव की चेतन शक्ति का पात करता है। (२) मॉस कभी नहीं खाना चाहिये क्योंकि यह स्वयं मनगिनती कीड़ों का ढेर है। बहुत हिंसा का कारण है अप्राकृतिक है और अनावश्यक है। प्रवीण डाक्टर सब इसके विरुद्ध हैं। Dr. Josiah Old Field D. C. L. M.A., M. R. C. S., L. R.C.P., Senior Physician, Margaret Hospital Bombay ग० जोसिश्रा प्रोल्ड फील्ड कहते हैं__ ......Products of the vegetable kingdom contain all that is necessary for the fullest sustenance of Human life, flesh is an ugoatural food and leads to create functional disturbance. अर्थात् शाकाहार में सब कुछ है जो मानव जीवन की पूरी स्थिति के लिये आवश्यक है। मॉस अस्वाभाविक भोजन है और शरीर में रोग पैदा करता है। दयावान मानव को कभी भी माँश खाना चित नहीं है। इसीके कारण अनेक उपयोगी कृषि के योग्य पशु भी कसाई खाने में बध किये जाते हैं। (३) मधु या शहद नहीं खाना चाहिये क्योंकि यह मक्खियों का उगाल है व उनको बहुत कष्ट देकर लाया जाता है व उसके रस में अनगिनती कीड़े पैदा होते हैं ये. तीन मकार कहलाते हैं। इनको कमी लेना न चाहिये।

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