Book Title: Samyag Darshan Part 02
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 6
________________ www.vitragvani.com (vi) संसार में मनुष्यपना अत्यन्त दुर्लभ है परन्तु सम्यग्दर्शन तो उससे भी अनन्त दुर्लभ है। मनुष्यपना पाकर भी सम्यक्त्वहीन जीव वापस संसार में ही परिभ्रमण करता है... परन्तु सम्यग्दर्शन तो ऐसी चीज है कि एक बार उसकी प्राप्ति करनेवाला जीव अवश्य मोक्ष प्राप्त करता है। इसलिए ऐसे सम्यग्दर्शन की प्राप्ति का प्रयत्न करना ही इस दुर्लभ मानव जीवन का महाकर्तव्य है और इसके लिये ज्ञानी धर्मात्माओं का सीधा सत्समागम सबसे बड़ा साधन है। जिसे आत्मदर्शन प्रगट करके इस असार संसार के जन्म-मरण से छूटना हो... और फिर से नयी माता के गर्भ में न रहना हो उसे सत्समागम के सेवनपूर्वक आत्मरस से सम्यग्दर्शन का अभ्यास करना चाहिए। पौष शुक्ल पूर्णिमा ब्रह्मचारी हरिलाल जैन संवत् २४८६, सोनगढ़ Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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