Book Title: Sambodhi 1978 Vol 07
Author(s): Dalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 15
________________ Bhoja's Śrngaraprakasa 13 मण्णे दड्ढे दढं हिअअंए दइ तुह पसाएण/पवासेण । दृरुण्णअ-घण-सामलिअ-दिसा हि सिग्ध-परीणामा ॥ 'मन्ये दग्धं दग्धं हृदयं हे दयित तव प्रसादेन/प्रवासेन ।1 दूरोन्नत-घन-श्यामलित-दिशा हि शीघ्रपरिणामाः ॥ ] 12 Karyopadhi-bhedesu sāmānyavad yathā - Ambharasunai .. .. .. (Vol. IV p. 1065) तंबिर-सूणई णिरंजणाइ वइरिक्क-रुण्ण-पुसिआइं । विरहुक्कंठं कुलबालिआण साहेति अच्छीइं ॥ ताम्र-शमानि निरजनानि एकान्त-रूदित-मृष्टानि ।। Lविरहोत्कण्ठां कुलबा (पा)लिकानां कथयन्ति अक्षीणि || 13 (Karyopādhi-bhedesu) visesavad yathā - Ukkanthānicchāā .. .. .. (Vol. IV p. 1065) . . उक्कंठा-णिच्छाआ सवं चिअ परिअणं रुआवेइ । 'आअंबिरेहि अज्झा पुसिअ-परुण्णेहि अच्छोहि ॥ [उत्कण्ठा-निश्छाया सर्वमेव परिजनं रोदयति ।। [आताम्राभ्यामा मृष्ट-प्ररुदिताभ्यामक्षिभ्याम् ॥ This gatha is included in Weber's SŚ (No. 838) 14 (Karyopādhi-bhedesu) naimittikam yathā - Chana-padivade ........ (Vol. IV p. 1065) छण-पडिवआए पह-देवआण दिज्जति पहिअ-घरिणीए । दोबल्ल-गलिअ-वलआलि-परिगआ मंगल-पईवा ॥ क्षिण-प्रतिपदायां पथ-देवतानां दीयन्ते पथिक-गृहिण्या । 7 | दौर्बल्य-गलित-वलयालि-परिगता मङ्गल-प्रदीपाः ।। 15 Patra-bhedesu adhirā yathā - Vijjhāvei paivam ...... (Vol. IV p. 1066) विज्झावेइ पईव अब्भुटुंतीऍ पहिअ-जाआए । पिअअम-विओअ-दीहर-णीसह-णीसास-रिंछोली ।। . [वीध्यते-(=निर्वापयति) प्रदीपमभ्युत्तिष्ठन्त्याः पथिक-जायायाः।। [प्रियतम-वियोग-दीर्घ-निःसह-निःश्वास-पङ्क्तिः ॥ This gatha is included by Weber in his edition of SŚ (No. 836). 16 Aucitya-bhedesu jatyaucityam yathā - Pariaddhiai donni .. .. (Vol. IV p. 1067) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 358