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सामायिक-सूत्र
दूसरी निमित्त सम्पदा है, जिसमे आलोचना का निमित्त कारण जीवो की विराधना बताया गया है ।
तीसरी ओघ-सामान्य हेतु सम्पदा है, जिनमे सामान्य रूप से विराधना का कारण सूचित किया है।
चौथी इत्वर-विशेष हेत सम्पदा है, जिसमे जीव-विराधना के 'पाणक्कमणे' आदि विशेष हेतु कथन किये हैं।
पचम सग्रह सम्पदा है, जिसमे 'जे मे जीवा विराहिया'-इस एक वाक्य से ही सब जीवो की विराधना का संग्रह किया है।
छठी जीव-सम्पदा है, जिसमे नामग्रहण-पूर्वक जीवो के भेद बतलाये है।
सातवी विराधना सम्पदा है, जिसमे 'अभिया' आदि विराधना के प्रकार कहे गए है।