Book Title: Samayik Sutra Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 328
________________ ३०८ सामायिक-सूत्र वीतराग, वचनो के अनुसार कीर्तना की, शुद्धि की, आराधना की दिव्य ज्योति ली नही !! ससार की ज्वालाओ से पिपासित हृदय ने, शान्तिमूल समभावना की सुधा पी नही; । आलोचना, अनुताप करता हूं बार-बार, साधना मे क्यो न सावधान वृत्ति की नही !!Page Navigation
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