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सामायिक-सूत्र
वीतराग, वचनो के अनुसार कीर्तना की,
शुद्धि की, आराधना की दिव्य ज्योति ली नही !! ससार की ज्वालाओ से पिपासित हृदय ने,
शान्तिमूल समभावना की सुधा पी नही; । आलोचना, अनुताप करता हूं बार-बार,
साधना मे क्यो न सावधान वृत्ति की नही !!