Book Title: Samayik Sutra
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra
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संस्कृत-च्छायानुवाद
[३] पचिंदिय-गुरुगुण-स्मरण-सूत्र पञ्चेन्द्रिय-सवरणः,
तथा नवविध-ब्रह्मचर्य-गुप्तिधरः । चतुर्विध-कषायमुक्तः,
इत्यष्टादशगुरणे सयुक्त ॥१॥ पञ्चमहाव्रत-युक्तः,
पञ्चविधाचार-पालनसमर्थः । पञ्चसमितः त्रिगुप्तः,
षत्रिंशद्गुणो गुरुर्मम ॥२॥
[४] तिक्खुत्तो—गुरुवन्दन-सूत्र त्रिकृत्वः पादक्षिण प्रदक्षिणां करोमि, वन्दे, नमस्यामि, सत्करोमि, सम्मानयामि, कल्याणम् ,
मगलम् , दैवतम् , चैत्यम् ,
पर्युपासे , मस्तकेन वन्दे।
[५] ईरियावहिय-आलोचना-सूत्र इच्छाकारेण सन्दिशत भगवन् ! ऐर्यापथिको प्रतिक्रमामि, इष्टम् ।

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