Book Title: Sachitra Kalpasutra
Author(s): Shreyansvijay
Publisher: Jain Sangh
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ययःपठतीहभक्त्या । सदुःखजातंविविधप्रभूतहित्वापदंयातितदेवशंभोः ॥४॥ पराशरमाधव्याम् ब्रह्मामुरारिस्त्रिपुरांतकारीभानुः शशीभूमिसुतोबुधश्च । गुरुश्चशुक्रःसहभानुजेनकुर्वतुसर्वेममसुप्रभातम् ॥ १॥ भृगुर्वसिष्ठःक्रतुरंगिराश्चमनुःपुलस्त्यःपुलहःसगौतमः । रैभ्योमरीचिच्यवनश्चदक्षःकुर्वतुसर्वेममसुप्रभातम् ॥२॥ सनत्कुमारःसनकःसनंदनःसनातनोप्यासुरिपिंगलौच । सप्तखरा सप्तरसातलानि कुर्वतुसर्वेममसुप्रभातम् ॥ ३॥ सप्तार्णवाः सप्तकुलाचलाश्चसप्तर्षयोद्वीपवराश्चसप्त । भूरादिकृत्वाभुवनानिसप्तकुवैतुसर्वेममसुप्रभातम् ॥४॥ पृथ्वीसगंधासरसास्तथापःस्पर्शीचवायुवलितंचतेजः । नभःसशब्दमहतासहैवकुतुसर्वेममसुप्रभातम् ॥ ५॥ श्रीःकामधेनुःसचवक्रतुंडश्चि तामणिःश्रीतुलसीचगंगा । अरुंधतीकौस्तुभकल्पवृक्षाःकुवैतुसर्वेममसुप्रभातम् ॥ ६॥ इत्थंप्रभातपरमपवित्रंपठेत्स्मरेद्वाशृणुयाचभक्त्या । दुःस्वप्ननाशस्त्विहसुप्रभातंभवेच्चनित्यंभगवत्प्रसादात् ॥ ७॥ पुण्यश्लोकोनलोराजापुण्यश्लोकोयुधिष्ठिरः । पुण्यश्लोकाचवैदेहीपुण्यश्लोकोजना | र्दनः ॥१॥ कर्कोटकस्यनागस्यदमयंत्यानलस्यच । ऋतुपर्णस्यराजर्षेःकीर्तनंकलिनाशनम् ॥२ ॥ अश्वत्थामबलिप्सोहनूमांश्चवि | भीषणः । कृपःपरशुरामश्चसप्तैतेचिरजीविनः ॥३॥ सप्तैतान्संस्मरेन्नित्यंमार्कडेयमथाष्टम् । जीवेद्वर्षशतंसाग्रमपमृत्युविवर्जितः ॥४॥ अहल्याद्रौपदीकुंतीतारामंदोदरीतथा । पंचैताःसंस्मरेन्नित्यंमानवोनैवबध्यते ॥ ५॥ इत्यादिपठेत् ॥ प्रयोगपारिजातेस्कांदे-समुद्र वसनेदेविपर्वतस्तनमंडिते। विष्णुपत्निनमस्तेस्तुपादस्पर्शक्षमस्खमे ॥ कात्यायन:-श्रोत्रियंसुभगंगांचअग्निमग्निचितंतथा। रोचनांचंदनंग धंमृदंगदर्पणंमणिम् । गुरुमनिरविपश्यन्नमस्सेत्प्रातरेवहि । आचारादर्शविशेषःभारते-अवलोक्योनचादर्शोमलिनोबुद्धिमत्तरैः॥
१ शनिराहुकेतवःइतिपाठः। २ ज्वलनःसतेजाःइतिपाठः । ३ सीतातारामंदोदरीतथा । पंचकनास्मरेनित्यमहापातकनाशनमितिपाठः ।
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