Book Title: Sachitra Kalpasutra
Author(s): Shreyansvijay
Publisher: Jain Sangh

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Page 16
________________ Shri Malin Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsapeur Gyanmandir आचाररवं ॥९॥ नचंडदंडमाखंडलादिसुरनायकवृंदवंद्यम् ॥ १॥ प्रातर्नमामिचतुराननवंद्यमानमिच्छानुकूलमखिलंचवरंदधानम् । तंतुंदिलंद्विरसनाधिपय परिभाषा. ज्ञसूत्रपुत्रविलासचतुरंशिवयोःशिवाय ॥२॥ प्रातर्भजाम्यभयदंखलुभक्तशोकदावानलंगणविभुंवरकुंजरास्यम् । अज्ञानकाननविनाशनहव्य वाहमुत्साहवर्धनमहंसुतमीश्वरस्य ॥३॥ श्लोकत्रयमिदंपुण्यसदासाम्राज्यदायकम् । प्रातरुत्थायसततंयःपठेत्प्रयतःपुमान् ॥४॥ प्रातः | स्मरामिखलुतत्सवितुर्वरेण्यंरूपंहिमंडलमृचोथतनुर्यजूंषि । सामानियस्यकिरणाःप्रभवादिहेतुंब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिंत्यरूपम् ॥१॥ प्रात | नमामितरणितनुवामनोभिर्बोंद्रपूर्वकसुरैःस्तुतमर्चितंच । वृष्टिप्रमोचनविनिग्रहहेतुभूतंत्रैलोक्यपालनपरंत्रिगुणात्मकंच ॥२॥ प्रातर्भजा 181 मिसवितारमनंतशक्तिंपापौघशत्रुभयरोगहरंपरंच । तसर्वलोककलनात्मककालमूर्तिंगोकंठबंधनविमोचनमादिदेवम् ॥ ३ ॥ श्लोकत्रयमिदं भानोःप्रातःप्रातःपठेत्तुयः । सर्वव्याधिविनिर्मुक्तःपरमंसुखमाप्नुयात्॥४॥प्रातःस्मरामिशरदिंदुकरोज्ज्वलाभांसद्रत्नवन्मकरकुंडलहारभूषाम् । दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्रहस्तारक्तोत्पलाभचरणांभवतींपरेशाम् ॥१॥ प्रातर्नमामिमहिषासुरचंडमुंडशुंभासुरप्रमुखदैत्यविनाशदक्षाम् । ब्रह्मेद्ररुद्रमुनिमोहनशीललीलांचंडींसमस्तसुरमूर्तिमनेकरूपाम् ॥ २ ॥ प्रातर्भजामिभजतामंभिलाषदात्रींधात्रींसमस्तजगतांदुरितापहंत्रीम् ।। || संसारबंधनविमोचनहेतुभूतांमायांपैरामधिगतांपरमस्यविष्णोः॥३॥ श्लोकत्रयमिदंदेव्याश्चंडिकाया:पठेत्तुयः । सर्वान्कामानवाप्नोतिविष्णु | लोकेमहीयते ॥४॥ प्रातःस्मरामिभवभीतिहरंसुरेशंगंगाधरंवृषभवाहनमंबिकेशम् । खट्वांगशूलवरदाभयहस्तमीशंसंसाररोगहरमौषधमद्विती-SI सायम् ॥१॥ प्रातर्नमामिगिरिशंगिरिजार्धदेहंसर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम् । विश्वेश्वरविजितविश्वमनोभिरामसंसाररोगहर० ॥२॥ प्रात भजामिशिवमेकमनंतमायवेदांतवेद्यमनघंपुरुषंपुराणम् । नामादिभेदरहितंषड्भावशून्यंसंसार०॥३॥ प्रातःसमुत्थायशिवं विचिंत्यश्लोकत्रा १ १ हारशोभाम् । दिव्यायुधैर्जितेतिपाठः । २ मखिलार्थदात्रीइतिपाठः। ३ परांसमधिगम्येतिपाठः। ४ पठेन्नरः । For Private And Personal

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