________________ ...खोलती हुई कविता के उत्स को स्पष्ट कर देती है। पाश्चात्य विद्वानों ने काव्य को अपने दृष्टिकोण से प्रभावित किया है। वर्ड्सवर्थ के अनुसार “कविता शांति के क्षणों में स्मृत सशक्त मनोवेगों का सहज प्रवाह है / (82) वर्ड्सवर्थ ने मनोवेगों के द्वारा काव्य में वस्तु तत्व के स्थान पर 'भाव' तत्व की सत्ता को स्वीकार किया है। शेली की मान्यता रही है कि 'कविता सबसे सुखी और सर्वोत्तम मस्तिष्कों के सर्वोत्तम और सबसे सुखी क्षणों का अभिलेख है।' (Poetry is the record of the list and the happiest moments of the hapliest and liest minds.) मैथ्यू आर्नोल्ड कविता की मूलरूप में जीवन की आलोचना मानते हैं। (Poetry is the best words in their best order.) डॉ. जानसन के अनुसार कविता वह सत्य है जो कल्पना की सहायता से बुद्धि के द्वारा सत्य और आनन्द का समन्वय करती है। इस परिभाषा में कविता के अनेक प्रमुख आन्तरिक और बाह्य तत्व समाविष्ट है। 'सत्य', 'आनन्द', 'कल्पना' और 'बुद्धि' कविता के आन्तरिक तत्व हैं, तो कला उसका बाह्य तत्व है जिसमें भाषा, छंद, अलंकार आदि अभिव्यक्ति में विविध उपकरण आ जाते हैं। सत्य से डॉ.जानसन का अभिप्राय कवि के अनुभव की यर्थाथता से है और आनंद का संबंध कवि के भाव लोक से है। बुद्धि से कविता में नूतन विचारों की प्रतिस्थापना होती है। कल्पना तो काव्य का क्रियमाण तत्व ही है |(3) वस्तुतः काव्य बिम्ब के आवश्यक उपकरण के रूप में चित्रात्मकता, भावात्मकता, शब्द अर्थ, रूपकात्मकता, ऐन्द्रियता, कल्पना आदि को आवश्यक माना गया है। 'काव्य का प्रेरक तत्व है भाव।' भाव संस्पर्श के बिना काव्य बिम्ब का अस्तित्व सम्भव नहीं है। बिम्ब का निर्माण सक्रिय कल्पना से होता है, अतः कल्पना ही बिम्ब का कारण है। शब्द और अर्थ भावों को प्रक्षेपित करते हैं, अतः समुचित भाषा ही बिम्ब की उपकरण सामग्री है। काव्य में बिम्ब के स्वरूप गठन पर निम्नानुसार विचार किया जा सकता है :(1) बिम्ब और चित्रात्मकता : लेविस ने लिखा है कि सरलतम रूप में बिम्ब को शब्द चित्र ही समझना ailey |(64) (In its simplest form, it is a picture mad out of words.) aldad 1211