Book Title: Rushabhayan me Bimb Yojna
Author(s): Sunilanand Nahar
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 345
________________ भरत पुत्र शार्दूल के शौर्य को 'बाज' पक्षी तथा 'सुगति' को सामान्य पक्षी के प्रतीक से बिम्बित किया गया है, जिस प्रकार बाज किसी भी पक्षी को झपटकर अपना आहार बना लेता है वैसे ही शार्दूल ने सुगति का शिरोच्छेद कर उसका प्राणान्त कर दिया - झपटा जैसे बाज विहग पर, किया सुगति के सिर का छेद। पृ. 265 'गज' प्रतीकात्मक बिम्ब में 'अहं भाव को लक्षित किया गया है। आत्मसाक्षात्कार में सबसे बड़ा बाधक अहंकार ही होता है। ब्राह्मी और सुन्दरी एकान्त साधना में लीन बाहुबली को अहंकार से मुक्त होने के लिए 'गज' से उतरने की बात कहती है - बंधो ! उतरो, गज से उतरो, उतरो अब, भूमी की मिट्टी का अनुभव होगा तब, गज-आरोही प्रभु-सम्मुख पहुँच न पाता, आदीश्वर ईश्वर समतल का उदगाता। ऋ.पृ. 294 बाहुबली की सेना के समक्ष छटपटाती, व्याकुल भरत की सेना के लिए 'जल' से निर्वासित 'मीन' का बिम्ब सजित किया गया है। अपनी सेना को अशक्त पाकर सेनापति भरत से कहता भी है - बहलीश्वर की सेना अपने, बलशाली सुभटो से पीन । और हमारी सेना प्रभुवर! है जल से निर्वासित मीन। ऋ.पृ. 262 आध्यात्मिक क्षेत्र में 'मुक्ता' 'मानस सरवर' और 'हंस' प्रतीक से क्रमशः 'मुक्ति', हृदय और जीवात्मा का बिम्ब निरूपित किया गया है। 'भरत' पर प्राणघातक आक्रमण के लिए उद्यत बाहुबली को रोकते हुए सुरगण उन्हें उनकी वंश परम्परा का स्मरण दिलाते है - अमृत तत्व में पले पुसे हो, फिर कैसे मारक आवेश ? शांत-शांत उपशांत बनो हे ! ऋषभ-ध्वज के वंशवतंस ! 3251

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