Book Title: Rushabhayan me Bimb Yojna
Author(s): Sunilanand Nahar
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 358
________________ संबंध बिम्ब से। वस्तुतः रस व भाव को मूर्त रूप में उपस्थित करना ही काव्य का मुख्य उद्देश्य है, और यह कार्य बिम्ब विधान द्वारा ही सम्भव है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि रस और बिम्ब एक दूसरे के पूरक हैं। ऋषमायण एक आध्यात्मिक महाकाव्य है, जिसमें लौकिक जगत् से अलौकिक जगत् में प्रवेश की कथा वर्णित है। लौकिक जगत् का रूप स्थूल है तो अलौकिक जगत् का रूप सूक्ष्म। स्थूल भावों के लिए बिम्बों का निष्पादन जहाँ सहज होता है, वहीं सूक्ष्म भावों के लिए अपेक्षाकृत कठिन। कवि ने दोनों ही स्थितियों में भावानुरूप बिम्बों का नियोजन किया है। ऋषमायण में कथा का विकास प्रकृति के सहज उन्मेष से होता है, इसलिए कवि ने अधिकांशतः बिम्ब प्रकृति से ही निर्मित किये हैं। प्रकृति में जलीय, धरातलीय, आकाशीय, पवनीय, आग्नेय, ऋतुसमय और मानवेतर प्राणियों से सम्बद्ध बिम्ब प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। प्रकृति पर आधारित बिम्बों में परम्परानुसरण की प्रवृत्ति अधिक दिखाई देती है। कहीं-कहीं नवीनता और स्वतंत्र निरीक्षण का सौंदर्य भी प्रतिष्ठित है। लोक जीवन और मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित बिम्ब भी कवि ने निरूपित किये हैं। बिम्ब बोध का प्रमुख आधार है ऐन्द्रियता। कवि की जितनी भी संवेदनात्मक अवस्थाएँ होती है, वे इंद्रियों के द्वारा ही व्यक्त होती हैं। दृश्य, श्रोत, घ्राण, आस्वाद्य एवं स्पर्श्य इन्द्रियों का प्रधान गुण-धर्म है। अपनी-अपनी सीमा में ये इन्द्रियाँ भाव का सम्मर्तन करती हैं। रूक्षता, कठोरता अथवा कोमलता के आधार पर जहाँ स्पर्यजन्य बिम्बों का उद्घाटन होता है, वहीं आनुप्रासिक, अनुकरणात्मक तथा अनुरणनात्मक एवं ध्वनि प्रतीकों पर आधारित श्रव्य बिम्बों का निर्माण होता है। आस्वाद्य बिम्ब रसनेन्द्रिय पर आधारित होते हैं तो घ्राण बिम्ब गंध पर। दृश्य बिम्बों का संसार विपुल है। एक प्रकार से सभी ऐन्द्रिय बिम्बों का समाहार दृश्य बिम्बों में हो जाता है। क्योंकि दृश्य बिम्बों के अंतर्गत रूप, रंग, आकृति गति आदि के आधार पर बिम्बों का दृश्यांकन किया जाता है। आचार्य महाप्रज्ञ ने प्रायः सभी ऐन्द्रिय बिम्बों की स्थापना की हैं, किंतु विस्तार की दृष्टि से चाक्षुस बिम्ब को अधिक सम्बल मिला है। वैसे भी काव्यों में गंध बिम्बों की प्रतिष्ठा अन्य बिम्बों से [338]

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