Book Title: Rushabhayan me Bimb Yojna
Author(s): Sunilanand Nahar
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 350
________________ में तम का आकर्षक चित्रण किया है। लताओं के गहन परिवेश में व्याप्त तम के आतंक से भयभीत सूर्य की किरणें झुरमुट और निकुंज से सशंकित दृष्टि से उस ओर देखती हैं (गहन लताओं की ओर)। यहाँ शंकालु मानव की मनः स्थिति का आरोपण 'सूरज' की किरणों में किया गया है - . लता मंडपों के प्रांगण में, तम की अति आतंक झुरमुट और निकुंज कुंज से, सूरज किरण सशंक | ऋ.पृ. 80 शारीरिक अंगों को भी मुखरित दर्शाकर मानवीकरण परक बिम्ब प्रस्तुत किये गये है। ऋषभ के हस्तिनापुर पदार्पण करने पर परिवार के सदस्यगण उन्हें भाव विह्वल होकर स्थिर दृष्टि से देख रहे हैं। उस समय परिवार के सदस्यों के द्वारा अपलक दृष्टि से ऋषभ की ओर देखने से ऐसा लग रहा था जैसे पलकों ने उन्हें अनिमेष रूप से निहारने का दीक्षा व्रत ले हो - नयन सुस्थिर पलक ने, अनिमेष दीक्षा व्रत लिया मुक्तिदाता की शरण में, क्यों निमीलन की क्रिया ? ऋ.पृ. 129 पलकों के पात के संदर्भ में भी आकर्षक बिम्ब की योजना हुई है। दृष्टि युद्ध के समय बाहुबली की ओर अपलक दृष्टि से निहारते हुए भरत की पलकें यह सोचकर नीचे की ओर झुक जाती हैं कि अपलक दृष्टि से देखने के कारण स्वामी को कष्ट हो रहा होगा - कष्ट हो रहा है स्वामी को, सोच किया पलकों ने पात। बहलीश्वर के सम्मुख जैसे, हुआ विनय आनत प्रणिपात। ऋ.पृ. 277 मानसिक भावों जैसे राग, अहं, मति, क्रोध, लोभ, धैर्य, मोह, आनन्द को भी सचेतन के रूप में बिम्बित किया गया है - किया अहं ने घोर विरोध, और किया मति से अनुरोध। क्यों जागृत करती हो आज, सुप्त सिंह को हे अधिराज! जाग गया यदि परमानन्द, हो जाओगी तुम निस्पंद 3301

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