Book Title: Rushabhayan me Bimb Yojna
Author(s): Sunilanand Nahar
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 327
________________ कोमल कहा गया है। साधारण धर्म के अनुरूप गौणी लक्षणा का उदाहरण उस समय भी देखा जा सकता है जब बाहुबली पिता का दर्शन न कर पाने के कारण व्यथित हो जाते हैं तब सचिव उन्हें समझाते हुए कहता है - फिर क्यों आनन-कल उदास ? क्यों मुरझाया है विश्वास। ऋ.पृ. 140 यहाँ कमल की कोमलता से बाहुबली के मुख की कोमलता को तथा 'विश्वास के मुरझाने' के लक्ष्यार्थ से विश्वास को 'डगमगाने' का कथन किया गया है। जीवन के लिए आहार आवश्यक है। योग मार्ग पर चलने वाले राही के लिए अत्यधिक भोजन वर्जित है। अल्प आहारी ही इस मार्ग पर चल सकता है। यहाँ 'अल्प आहार' को गोचर्या एवं अत्यधिक आहार को 'गर्दभ चर्या' से लक्षित किया गया है गाय नहीं उन्मूलन करती, तृण का कर लेती आहार अल्प ग्रहण गोचर्या, गर्दभ-चर्चा का वर्जित आचार। ऋ.पृ. 134 मनोविकारों को भी लाक्षणिक सन्दर्भ से जोड़कर उन्हें स्वरूप प्रदान किया गया है - मानवीय आचार-संहिता, का आधार अहिंसा है, शांति भंग दुःख-बीज वपन कर, हंसने वाली हिंसा है। ऋ.पृ. 159 'हिंसा' कोई शरीर धारी नहीं है जो हँसे। 'हिंसा' एक वृत्ति है जो 'हिंसक' में ही समाहित है। इस प्रकार शुद्धा उपादान लक्षणा के सहारे हिंसक व्यक्ति की वृत्ति बिम्बित की गयी है। 'वृक्ष' पर 'वसंत' के प्रभावकारी लक्ष्यार्थ से भरत के मन की प्रसन्नता का भी बिम्बांकन किया गया है। सेनानी के द्वारा युद्ध का वृत्तांत सुनकर भरत का मन वैसे ही प्रफुल्लित हो गया जैसे वसंत के प्रभाव से वृक्ष हरा भरा हो जाता है वर्धापन कर सेनानी ने, अविकल वृत्त बताया भरत नृपति के मानस तरू पर, वर वसंत गहराया। ऋ.पृ. 169 1307

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