Book Title: Risht Samucchaya
Author(s): Durgadevacharya, A S Gopani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
________________
रिष्टसमुच्चय
113 छत्तस्स रायमरणं १२०. पू.
(जीवइ सुहसद्देणं १८४. उ. " छत्ते (तं) परिवारं वा ११७. उ.
जीवस्त निविवअप्पं ११. उ. छायापुरिसं सुमिणं ६९. पू.
जीवस्स मरणयाले १७. उ. छिद्दोह तस्स आऊ ४५. उ.
जीहग्गे(गं) अइकसिणं ३०. पू. छिन्नं खग्गाईहिं ८३. उ.
जीहा जलं न मेलइ १४१. पू.
जुइकुसुमं सियवत्थं १८९. उ. जइ आउरो ण पिच्छह ७५. पू.
जुण्ण( जाणु)यपमाणतोए १४३. पू. जइ किण्हं करजुअलं १९. पू.
जूअ-महु-मज-मंसं ५. पू. जइ दीसइ परिपुण्णं १०५. पू.
जो गी(णी)सेसमहीसनीतिकुसलो २५७(आ). जइ पिच्छइ गयणयले १००. पू.
जोच्छइंसण-तक-तक्किम इम(मई)२५७ (अ). जइ पिच्छइ ण हु वयणं १४७. पू.
जो णियइ तस्स भणियं ४७. उ. जइ सुमिणम्मि विलिजइ १२२. पू. जो णियछायाबिंब ८२. पू. जं इह किंपि वरिटं २५६. पू.
जो पिच्छइ निअछाया ७८. उ. जंघासु दुण्णि वरिसं ११९. पू.
जो भिजइ सत्थेणं १२७. पू. जं च सरीरे रिटं १८. पू.
जो रयणीऍ पसुत्तो ११६. उ. जं जस्स जम्मरिक्खं २२०. उ.
जो लेइ अणसणं चिअ २५२. उ. जं दीसइ दिट्ठीए १३१. पू.
जो सिद्धंतमपारतीरसुनिही २५७ (इ). जस्थ करे अह पव्वे १५९. पू.
जो सुमिणम्मि णियच्छइ १२४. उ. जस्थ अविजइ मंतो ११२. उ.
जो हु णिबुड्डइ सुमिणे १२९. उ. जम्मसरो रिक्खादो २३०. पू. जम्मि सणी णक्खत्ते २२४. पू.
ढंख-गय-वसह-रासह- १६६. पू. जयउ जए जियमाणो २५४. पू. जय-विद्धि-मिंदु-राया १८६. उ.
णजति [य] निवियप्पे १०३. उ. जलिया लिंगिय दवा १६४. पू.
ण णिएइ तुंगछाया १४०. उ. जविऊण इमं मंतं १०९. उ.
णयणविहीणे दिढे १०१. उ. जस्सस्थे जोइजइ १००. उ.
णयरभवाणं मज्झे १७७. पू. जस्स न पिच्छइ छाया ७७. पू.
णहजाणं [अहव दिणे २४३. पू. जहकमसो नायव्वं ११५. उ.
ण हु दीसइ सरि(सि) सूरो १३४. पू. जहकमसो सो जीवह ५२. उ.
ण हु पिच्छइ जो सम्म १४३. उ. जाइकुसुमेहि जविओ १११. पू.
णासग्गे करजुअलं १९५. पू. जाणुविहीणे भणि १०२. पू.
णिसुणह भणिजमाणं १४८. उ. जाणुविहीणे वरिसं ११८. उ. जाणेह लिंगरिढे १३६. उ.
तं उ भणिजइ रिढे ४१. उ. जाधम्मो जिणदिट्ठणिच्छिदयये('पए)२५९(अ). तं चिअ अणेअभेअं १८. उ. जा नरसरीरछाया ७४. पू.
तं पक्खं जाणेजइ १९७. उ. जा नायं (?) च सुराणभो तिपहुगा २५९ (इ). तं पि हु अणेयभेयं ६८. उ. जा मेरू सुरपायवेहि सरिसो(हिओ)२५९(आ). तं भन्नइ पञ्चक्खं १३१. उ. जिणवद्धमाणपुरओ १५०. उ.
तं रिट्ठसत्थणिउणे २५६. उ. जीवइ विसमेण रोई १.६२. उ,
| तत्तिय दिणाइ मासा १५९. उ.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290