Book Title: Risht Samucchaya
Author(s): Durgadevacharya, A S Gopani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

Previous | Next

Page 254
________________ वर्णानुक्रमसूची 141 शुभ (स्वप्ने) दक्षिणाशाभिगमनम् (वान(श्रवण) खरैः सह) १०१,२९,३०. पटहशब्दश्रवणम् ९७,२७. " . " " (वराहेशङ्ख-" , ९७,२७. महिषैर्वा) १०३,३४. (छेद) करच्छेदः १०९,२४. सङ्कीर्ण , कर्णच्छेदः १०९,२४. अस्थिक्षेपणम् १०६,१२. नासाछेदः १०९,२४. आस्थप्रशोषः १०९,२८. (दंश) केशक्षेपणम् १०६,१२. कीटदंशः १०१,५. चर्म-" १०६,१२. , खरदंशः १०१,६. धूमदर्शनम् (मूर्ध्नि) १०२,३६. See दुष्टश्वानदंशः १०१,६. प्रत्यक्षरिष्ट also. वृश्चिकदंशः १०१,५. पतन्यस्तचरणखण्डनम् १०९,२७. सर्पदंशः १०१,५. परिक्षवम् (शकुनेः)९७,३. (दर्शन) पापवादम् (,)९७,३. अन्तरिक्षस्य दर्शनम् ९८,३२. पांशुन्यस्तचरणखण्डनम् १०९,२७. उत्पातत्य , ९८,३२. पांशुवर्षा ९८,१४. किंशुकस्य , १०४,४. रजुक्षेपणम् १०६,१२. कृष्णपुरुषस्य , १०९,२५. वायसपतिः ९८,१४. दिव्यानां , ९८,३२. विपरीतदर्शनम् (सर्वस्य)९९,३०. निष्प्रभचन्द्रस्य,, १०९,२०. वृक्षेषु स्वर्णप्रतीतिः १०९,२९. निष्प्रभादित्यस्य,, १०९,२०. स्वपदानामदर्शनम् १०९,२९. पारिभद्रकस्य ,, १०४,४. पुष्पितकरवीरस्य १०९,२३. स्वप्न ९७,२,२०. पुष्पितपलाशस्य १०९,२१. अशुभ पुष्पिताशोकस्य १०९,२१. (अभ्यङ्ग) भौमस्य , ९८,३२. (स्वमे) अभ्यङ्गः १०५,११. मलिनपुष्पस्य ,, १०१,९. घृताभ्यङ्गः १०९,२२. मलिनाम्बरस्य , १०१,९. तैलाभ्यङ्गः १०९,२२,२५. यूपस्य , १०४,४. (आलिङ्गन) रक्तचन्दरुषिताप्रेतालिङ्गानम् १०९,२४. नार्या , १०१,२. , रक्तवस्त्रगन्धधारिणीनार्या रक्तपुष्पधरालिङ्गनम् १०९,२२. नार्या , १०१,२. (उत्सर्ग) रक्ताम्बरधरा,, पुरीषोत्सर्गः १०५,७. नार्या , १०१,२० , मूत्रोत्सर्गः १०५,७. रजतस्य दर्शनम् १०५,७. (गमन) वल्मीकस्य ,, १०४,४. ,, दक्षिणाशाभिगमनम् ९८,२३, शाल्मल्या, १०४,४. ९९,२,१०१,६,१०२,१७ शोणिताक्तशयनस्य दर्शनम् १०५,१२. १०१,. 19 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290