Book Title: Risht Samucchaya
Author(s): Durgadevacharya, A S Gopani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 238
________________ तेल्ल ९०. वर्णानुक्रमसूची 125 | दियह ३३,५३,७५,७६,८४,८८,९२,९३,९४, तोष १४३. १०३,११,११५,११८,१३९,२४५,२५२... तोय ३१. दियह' ५४,८१,१०४,१३२. त्ति ५४. दियह ११००२३३. दिव्वसिहि ५९. Vथगथग दिव्वा १५८. थगथगइ २२. दिसा २३८. थणमझ ९८. थद्ध २०. दीवय ४८. थूल २२. दीवय १३९. . दीवय ४१. दंड १९१. दु २२; १२२,१२३. दंसण १७८,१९०. ___°दसण १३६. दुअसत्तरिदिअहसर २३०. दक्खिण° १७४. दुक्ख २२६. दक्खिणदिसा १२३. दुग्ग २५९. दह १८७. दुग्गएव २२२,२५५. दह १६४. दुग्गएव १६. दढ १६९. °दुग्गएव २५८. दप्पणय ६४. दुण्णि ११९. दसण २७,३४६४. °दुद्ध १७०. दह ५२,७५,११५,२४४२४५,२४९. दुन्नि ७६,९२. ___°द(छ)ह २३३. दुरय° २१३. दहसहस्स १११. दुलह १२. दहिय १८९. दहिवण्ण १७४. दुवियप्प १३५. दाहिण १५६. दुविह ११२,११४,१८०. दाहिण १७७१९५. दु(दो)विह° १२,१४७. दाहिणदिसा १४२. दूअ २४३. दाहिणहत्थ १५१. दूणह १६२. दिअह २९,३४,३७,३८,५२,५८,२३३,२४४; देउल १९. २४५,२४७,२४९,२५२,२६०. देयजुत्त १९०. दिअह° ३१,२५३. देव ११७. दिअह २३१:२३२:२३४,२३५,२४४, देव १२१. २४८,२५०. देवदा' ११२,१८०,१८५. दिट्ट १७६,१९२,२४१. देवपरिहीण १३१. दिहि २५,३५,१३१. देवया १८०. दिण २०,२१,२४,३९,५०,५५,७६,९२,९३, १२७,१४१७१५९,२४३,२४४,२५१. देविजाव १४५. दिण° ३५; ६०,१३३,१५५. देविवत्थ १४५. पदिण ३७,५१६०७७,८२,१०४१२५, देवी' १२१. १५७,२३४,२४५,२४६,२४७,२४९, "देस १९४. २५०. देसविगाय २१४. 17 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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