Book Title: Risht Samucchaya
Author(s): Durgadevacharya, A S Gopani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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रिष्टसमुच्चय
117 वयणेण पडइ रुहिरं २६. पू.
(साईइ सत्त दिअहे २४७. उ. वरमरणकंडियाए १६. उ.
साणो धम्मि सुहओ २०९. उ. वसह-करि-काय-रासह-७८. पू.
सा भणिया निअछाया ७४. उ. वसहो धय-धूमगओ २१०. पू.
सावणसिअपक्खस्स य २३५. पू. वह-बंध-रोय-सो २०७. उ.
सावणसुक्केयारसि २६०. उ. वाऊ पित्तं सिंभं ११. पू.
सास(°म) सिवा करटासो १७३. पू. वामकरे सियपक्खं १९५. उ.
सासं मुएइ सीयं १३४. उ. वामभू(°भु)यंमि उ चउरो २२५. पू. सिमिणम्मि अ णचंतो १२८. पू. वामे गओ ससहो १७५. उ.
सियवत्थझंपिया पुण १८२. उ. वाय-कफ-पित्तरहिओ १०८. पू.
सियवत्थाइविभूसो १९९. पू. विकहा-कसायहीणो ११०. उ.
सिरिकुंभनयरण[य]ए २६१. पू. विदियपुरिसेण सरिसो १८१. उ.
सिरिसंतिनाहभवणे २६१. उ. विविह(ह) सस्था(थ)गुसारं १७२. उ.
सिहि चंदया ण पिच्छइ १४०. पू. विविहागमजुत्तीए ११४. उ.
सीसंमि तम्मि गुज्झे २२५. उ. विस-विसहर-सस्थ-ग्गी-१०. उ.
सीसो देसजई सं(वि.)बोहणपरो २५८ (भा). विस्सामेण विहीणो २६. उ.
सीहग्गि(ग्गी)गय लाहं २०९. पू. विहडेइ अइसएणं ३९. उ.
सीहम्मि [य] वारणं धए २१२. पू. वीरजिणपायजुअलं १. उ.
सीहस्स गओ सत्थो २१७. उ.
सीहो गओ धयंमि २१५. उ. सउली सुय चम्मयडा १७३. उ.
सीहो धयस्स उरि २०८. पू. संजवियमेयख(°°)डिया २०१. उ.
सुइभूमिअले फलए २०३. पू. संजाओ इह तस्स चारुचरिओ २५८ (अ).
सुकं पक्खं वामे १५६. उ. संताएसु अ जीवइ १६९. उ.
सुग्गीवसुमंतेणं २०२. उ. संमजिऊण सयमवि १४४. पू.
सुग्गीवस्स य मंतं २००. पू. संवच्छरइगसहसे २६०. पू.
सुत्तो निसाएँ पेच्छइ १०८. उ. संसारंमि भमंतो २. पू.
सुपयत्थं निसुणिजउ ६७. उ. संसारम्मि अ ठिच्चा १५. उ.
सुवइ कयसीसहस्थो २२. उ. सत्त दिण कत्तियाए २४४. उ.
सुहदं हवेइ नूर्ण १९०. उ. सत्त दिणाई णियच्छह ५०. पू.
सुहदियहे पुव्वण्हे ७१. उ. सहो हवेइ दुविहो १८०. पू.
सुह पीदि अत्थ लाहो २२६. उ. समधाउ(°ऊ) वि ण गेण्हइ १३३. पू. सुह-मसुहं विअ सव्वं १८४. पू. समभूमियले ठिचा ९७. पू.
सेयं भणेइ पीयं १३२. उ. समसुद्धभूमिएसे ७२. पू.
सेसायाणं साहइ २१०. उ. सयअट्ठोत्तरजविर्थ १५०. पू.
सेसाया पुण संता १६५. उ. सयलदिसाउ णियच्छइ १३२. पू.
सेसेसु अ मज्झत्यं २१२. उ. सयवारं दिटुवरिं १५१. उ.
सेसेसु अ मज्झत्थो २११. उ. सर-सूल-सव्वलेहिं ८३. पू.
सो ऊण इक्कमासं १२६. उ. ससि-सूर-दीवयाई ४१. पू.
सो छह दिणाइ जीवइ ५५. उ. ससुया जुवई वेसा १९०. पू.
। सो जिअइ मासमेगं ६६. उ. 16
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