Book Title: Ratnachuda Rasa
Author(s): H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text
________________
रत्नचूड.रास
लीधां कापड कसमस द्राख चारुहली सिउं वानी लाख चालिउ कुमर मिलेवा भणी आगलि आवी बहिनर घणी ४४ भाई प्रतिइं ते दिई आसीस अम्ह मनि पहुती आज जगीस ऊतावली तिहां दिई अंघोलि भोजनि सालि दालि धृत-घोल ४५ कुमर आरोगी ऊठिउ जाम हीडोलाटिइं पढिउ ताम ततखिणि. आव्या च्यारइ सेठि आवी-नई बइठा पग-हेठि ४६ इक पग चांपइ घालइ वाउ इक बीडी दिइ पान जि खाउ कुमरि चिंतिउ अइसिउं जाम ओलग सारइ सारउं गाम ४७ च्यारिइ पूछई वस्तु ज किसी कहउ साचउं तुम्हे हुइ जिसी कुमर भगइ वस्तु अम्ह तणी साहली कउची आछी घणी ४८ तुम्हे कही वस्तु छइ जेतली इहां माठई आवी ततेली एवंकारई निरतउं कहउ वचन तु तुम्हारउं साचलं हउ ४९ कुमर विचारइ हियडइ ईम सिट्ठपणई ए च्यारइ सीम सरिखा-सरिखउं जउ थाईयइ सिटिई सिट्ठ तु पजाइयइ. ५० कुमर भणइ सर्वांकइ सही दस कोडि सरवालइ कही। वाहण-वस्तु उतारउ सहू वलतउं भरि आपेसिउं बहू ५१
४४. १. ग. कसमशि; च. कसमसी. २. क. नवली नव लाश्य; घ. लीधा मोदिक आबा साखः च मित्र थईनइ मिलिआ लाख.
४५. १. झ. ट भणी. ३. ख. ग. घ. ठ. हुई. ४. झ. घोलि.
४६. 1. क. अगेगी. २. क.° लाषाटइ; ख. ढोल ताला इव च्छाया ताम; ग. हीडोलाबाट ढाली छइ ताम; घ. वांधी छि तांम. ४. क. बइठा कुअरना
४७. १. क. घातई: ठ. याति. ३. क. ए आउं जाम; ख. भन करि. ४. क. करइ, सह; झ. ट. ठ. सघलउं.
४८. १. क. वाणिज. ४. क. ख. ग. ट. साल्ही कु ची; ग. चोल ज घणी; घ. सखरी वस्तु छइ अम्ह घगी; च. सारी उंची; ठ. कुछी.
४९. १. क. जे भली. ३. क. कहूं; ग.ट. कहु. ४. क. हृउं; ग. रहु; च. झ. ट. लहु; ठ. वहु.
४९. पछी च. मां वधारो : हवडां ग्राहक नथी कोय, माठइ द्रामि न थाय सोय; माहोमांहिं ते करइ पारसी, कुयरि वात न जाणी किसी.
५०. २. क. सिद्धपणइ, भीम; ग. सेठपणइ, च. सेठ खल ए; झ.ट. सिद्ध बणिक. ४. क. सिठ प्राइ सिठ जि थाईइ: ग. पईजाई इ; च. तो पणि कुणहिं नवि वाहिई; ठ. भाविइ.
५१. १. क. सवि अं हुई; च. होय; ठ. हुई. २. क. ठ. थई: ग हुई; च. जोय. रत्न-२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78