Book Title: Ratnachuda Rasa
Author(s): H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text
________________
रत्नचूड-रास
वचन अम्हारउं तूं इम जाणि साचलं होसिइ ते निरवाणि सवा लाख जे आपइ दान तेह पुरुष-नइ देजे मान २१४ रांधिणि-पांहि रंधाविउ कूर वासउ रहउं छउं थयउ असूर एह वात मई निश्वल कही प्रभाति ऊठी आविउ सही २१५ एती वारि नवि आबिउ कोइ तुणिउ विगूचासइ विहाणइ जोइ रातिई एक पुरुष आवियउ सवा लाख पणि तेणई दियउ २१६ प्रधानि पूछिउं को आवीउ रातिई एक आविउ भावीउ सवा लाख तू लेजे ईम एक पुरुष टाली तुझ नीम २१७ कुटंब सघलउं सुखीउं कीध चिंता-रहई देसवटउ दीध सविहू नई जई दीधी धीर निचित थई-नई सूतउ वीर २१८
बिवहरि रातिइं आवी विहिइ वली वली तेह जि इसिउं कहइ तू तउ सूतउ निभूत थई चिंता सघली मुझ-नइ भई २१९ एती वारि आवियउ कुण विहि कहइ सहू जाणइ पुण
मुझ-सिउं काज अछइ केतलडं जे प्रसाद कीधउं एतलडं २२० २१४. ३. ग. दाम. ४. ग. देज्यो ठाम.
२१५. १. ग. पई. २१५. पछी झ.उ.मां वधारो : कुमरी वात विमासी सोइ, छयल पुरष पणि नावइ कोइ । सवा लाष पणि देसई जेह, पुरुष 'आदरसिउ निश्चिई तेह.
२१६. ने बदले झ.ट.मां आ प्रमाणे : ईम करंता संध्या हुई तुणि तणी विमासण थई । एतलइ एक पुरुष आवीउ सवालाष पणि तेणि आपीउ ॥ कुमरी मनमाहि हर्ष अपार प्रधानवचन फली ते सार । प्रभाति ऊठी मंत्रीस्वर गया लाजइ कुमरी ऊभा थया ॥ २१६. १. ख.ग. अत्यार लगइ; च. सांझ लगि नवी. २. ख. तु गूचस्यउ इ वाहणनउ तोइ; ग. तोणि विगूचिस व्याहणइ तोइ; च. इणि नइ विगूचसि, सोइं; ठ. तुणि. ४. ख. दीणइ दिउ: ग. मां नथी.
२१७. १. ग मां नथी. २१८. २. क.ख देसुटउ; ग. देसोटो; ठ. देसटउ. ४. ख. हुई..
२१९. 1. झ. थध्यरात्रि तिहां. २. ख. पणि तहनइ; ग. पुण २; झ. मंत्री प्रतिइ इसिउं. . २२०. ने बदले झ.ट मां आ प्रमाणे : सुणि वचन जागिउ तिणि वारि, मत्री कहइ कवण तूं नारि । विधात्र। छइ माहरु नाम, अम्हनई तई सवि दीधां काम ॥ २२०. 1. ख. अत्यारह; ग. अत्यारे; च. अंत्यारि. २. ग. कहिउ साहु जाणो; च. विहाणइ' करी हीइ.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78