Book Title: Ratnachuda Rasa Author(s): H C Bhayani Publisher: L D Indology AhmedabadPage 48
________________ रत्नचूड.रास इहाथी मोती काढि तू कुंभस्थल स विडारि नितु नितु एहवउ मारिजे बोजउ जीव म मारि १९९ माणउं मोती लेइ करी बलिया बिन्हइ साथि नगर-माहि ते आविया जां घरि आपणइ आथि २०० हूं जाउं छउं जोइवा बहन-भाई-नी सुद्धि तुझ नई मई ए बुद्धि कही इणि परि लेजइ रिद्धि २०१ तिहां थर प्रधान चलियर जोवइ आगलि दीठ आवत लेवा कोहरी घर जातर भर २८२ बिह्नइ ते सांई मिल्या पछइ कुटंबह वली वली केहूं पूछसिउं देविई कीधउ कहउ तुम्हे किणि परि अछउ निरवाहउ छउ चारि-भारउ एक वेकीइ दिन नीगमीइ वात घात २०३ कीम ईम मिलिया बे जण घरि गया घरिणी ए कुण आविउ प्राणउ कंत कहइ अम्ह तात २०५ पूछइ भोजन कांई अछइ घर-माहि राखइ देव सुणी प्रधान जि इम कहइ पोठी वेचि न हेव २०६ १९९. १. ग. आखां मोती; झ. था. २. च. ° स्थलने विदारि. २००. २. क. बिहुइ; ग. बिहुइ. ४. क. थई आपणइ घरि; ग. घर आपण3; ठ. जे रहिवा घरि. २०१.. ४. झ. लेयो. २०२. २. क. जोइ कुमरीअ; ख. जोई फिर २ देस; ग. जोतो नगर फिरंत: च. जोइ कुंवर घरबार; झ. जोतु सवि घरि बारि; ठ. परि. च.झ.ट. परि. ४. ख.ग. भार. २०३. १. ग. बिहुँइ. ३. ख. वाधव सुधि प्रधानइ कही; ग. काई; झ. भाई सुद्धि प्रधानइ कही. ४. ख. बहिन न जाणउ वत; ग दीधउ: झ. बहिन न जाणुं तात. २०४. ३. ख.झ. वेची करी; ग. भरी नइ; च थेचीह; झ. खड... २०५. २. ख.झ. ५रुहुणसं. २०६. १. ग. छ. २. ख.झ. नहि देव. ४. ख. वेच3 षेव; ग. वेचो; झ. वैचउ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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