Book Title: Ratnachuda Rasa Author(s): H C Bhayani Publisher: L D Indology AhmedabadPage 47
________________ रत्नचूड-रास पालक पंथी परहुणउ चोर मागण नइ प्रेत आथि न जाणइ घर-तणी हियडइ नही सचेत १९१ साडी मूकी गरणइ करउ साचवणी आज घरि प्रधान जि आवियउ नवि कीजइ तउ लाज १९२ घरणिई आवी इम कहिउँ ऊठउ बुद्धि-निधान . तीणि वारि जम्या राज-पुत्र परधान १९३ आम तात तुम्हि घरि रहउ हूं जाउं छउं रानि आहेढउ करिया सही अम्ह नई एक जि ध्यान प्रधान बलतउ इम कहइ हूं आविसि तुझ-साथि हरिण जि लागउ मारिवा प्रधान विलगउ हाथि १९५ आगलि हाथी ऊमटिया टोलइ मिल्या बि-च्यारि बाण ज ताकी-नइ रहिउ प्रधान कहइ म मारि १९६ चिहुं दंतूसलि आवियउ धवलउ जे गजराज प्रधानई इम आइसिउं आ तू मारि-न आज १९७ ततखिण बाणिइ आहणिउ हस्ती गया पराण काती लेई ते फिरिउ मूरिख तूं नवि जाणि १९८ १९१. १. क.ख.ठ. पही, ग. पहिः च. बेटी. ३. च. वेदन न. ४. क. सावचेत; ख. नइ जाण; च. चिंतइ एम; झ. नुहइ. १९२. पछी झ.ट.मां वधारो : मेहली साडी गरहणइ आणिउ घृत पकवान । शाक अनइ दही घोल घण कीधा उन्हा धान ॥ १९३. २. ख. हवइ प्रधान; ग.च. हु धान; झ. हुया अन्न नइ पान; ठ. हवू धान परधान. १९४. ३. ठ. भणी. १९५. २. ग. आविसु तय; झ. आवितु तुझ संघाति. ४. क. विलागु; च. मां चोथु चरण खूटे छे. १९५. २ पछी झ.ट.मां वधारो: बे जण अटवी चालीया करता बहु परि वात । __ आगलि टोलां ऊमटियां हिण तणा बहू साथ । १९६. च. मां १ थी ३ चरण खूटे छे. १९७. १. ख.ग.. आवीउ; च. आविउ. २. ख. भद्र जाती; ग. जां. १९८. १. ग. मारिउ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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