Book Title: Ratnachuda Rasa
Author(s): H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 45
________________ २४ एवडी वात गय राज रत्नचूड-रास माहरा बाप नई आंखि जि बीजी काढी मूकउ न जाणइ सुबुधि वालिय घणी हेव तोइ न जाणीइ केही समर्वाड तोली क्षितिप्रतिष्ट नगर तू जाणि सुबुधि प्रधान अछइ तेह-तणइ ईछइ पूछइ ता हूउ पुत्र सगउं सणीजडं सूत ं जाम निसीथ-रात्रि आवी विहि इ आहेडी होसिइ ए सही प्रधान सुणी- नई झांखउ थयउ छट्ठी रात्रि आवी विहि इ सींग खांड पूछई बंड वय वय मानिहं बुद्धि ज होइ विहि लिखियउं नामउं टालियउं राजा पृथवीचंद्र वखाणि राउ अपुत्रियउ सहू को भणइ छट्ठी जागइ सघलडं गोत्र प्रधान रहिउ दीपांतरि ताम १७९ अक्षर लिखी नइ पुणिइम कहइ एक जीव मारेसिइ रही १८० कालिइं बीजउ बेटउ भयउ अक्षर लिखी - नइ तव इम कहइ १८१ बलद सांपजसिइ एक अखंड तं निसुणी चमकि परधान राज काजि पुणि छइ सावधान १८२ त्रीजी वारई पुत्री हूई दीप छांहइ छट्ठी - दिवसि विही इम भणइ होसिइ Jain Education International तुम्ह-तणी आपडं तेव १७६ जोइ रही वेश्या - तणइ १७६. २. क.ग. जाणु. ३. च. जिमणी; ग. ततक्षण तोली आपुं जाम; घ. तिम ते, जेम; च घ. मां आटले सुधी पाठ छे पछीना पत्रो खुटे छे. १७७. १. झ. सोइ. २. क. एवडी बुद्धि में माइ. ४. ग. वही. १७७ मंदिर १८३ झ. देव ४. क ततपिणि, आलउं देव; ततखिण: झ. हेव; ठ. देव. For Private & Personal Use Only १७८ १७९. १. क. इम करता हूउ पुत्री; ख झ. एक वार तसु; ग. ईछ पछि' हुउ. २. ग. जागरण. १८०. ख. निसि घरि; ग.च. आवइ वहई, झ. सध्य रात्रि तिहा. २. ठ. मुषे. १८१. ३. ग. आवई वहइ. ४. क एहवं; ग कोरि; ठ कोहरी. १८२. २. क. पामिसइ; ग. सांपडिसे; च. सांपडस्ये; झ. एहनइ होसिह एक ज संड. १८३. ३. झ. रातिइ आवी भणइ. ४. च. जास्य; झ. ए थाएसिइ गणिका तणइ. www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78