Book Title: Ratnachuda Rasa
Author(s): H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 40
________________ रत्नचूड-रास लेख लेई-नइ पहुतउ जाम सविवेकिई तिहां वांचिउ ताम गज मूउ कहइ राजा हेव अम्हे न कहउं तुम्हे कहउ छउ देव १३० कहि रे लेख लिखाविउ कुणइ रोहई पुत्र कसेलव तणइ बुद्धि रोहा नो सुणी जव राइ राजा-हियडइ हरख न माइ १३१ वलती छाली मोकली एक चारउ पाउ तुम्हे सविवेक तोली आप तोली लीउं अधिकी ओछी नवि सांसह १३२ आणी बांधी रोहा-नइ बारि छाली-नइ मन वंछित चारि नाहर देखाडइ दिनि दिनि सही मान-प्रमाणिइ छाली रही १३३ राइं छाली अणावी जाम तोली जोई पहुती ताम कहि रे छाली राखी कीम नाहर दृष्टि देखाडी तीम १३४ राइं तिल-गाडउं मेोकलिउं साथिई वचन इसिउ आठविउं तिल लेज्यो तुम्हे ऊधइ करी तेल आपज्यो पाधरइ भरी १३५ तिल लोधा दर्पण-सिउं भरी तेल-ठीप सघलइ विस्तरी बुद्धि प्रपंची जाणिउ राइ हियडा माहि हरख न माइ १३६ इहां जोइथइ छइ मीठउ कूप रोहा-प्रतिइं कहावइ भूप मोटा भुई नान्हउ बीहइ एह वात विचारउ हियइ १३७ तुम्हे तउ पोतइ छउ सुविवेक नगर-माहिलउ मोकलउ एक टई नांगली इहां नउं मोकलीइ वली १३८ कुर्कुट एक मोकलीउ राइ झूझाडिवा-नउ करउ उपाय। दर्पण आणिउ तीणइ ठामि झूझाडी मोकलीउ गामि १३९ वलती वाटि जि वेलू तणी राजा कहइ तुम्हे वणिज्यो घणी वलतउं रोहइ कहाविड हेव निमूनउ मोकलज्यो देव १४० १३१. २. च. भरत तणो तेणि. ३. क. आलिउं. १३४. २. क. तोलइ बुहुत्ती तेतली ताम; घ. तोली लोधी ते परि. ४. क. दिष्टई राषी ईम. १३५.. १. झ.ट. आठविउ. २. गघ. पाठविउं; च. पाठव्यु. ३. क. त्यल. ख. मोकलयो. ४. ग घ.झ. मोकलज्यो. २३६.१. च. दर्पण तलइ करी. २. ख. पाधरइ: ग. टीप'; घ. समिः झ. विस्तारी दीध, ३. घ. प्रपंचइ. ४. च. अचिरज थाय. १३७. १. क. आंहां, भोट3; झ. कूड. २. झ. मोकलीउ दुउ. ३. ख. मोटा थकल. १३८. ५. आंहां थउ; ख. आवइ; घ. ईहाथु; च. आ गामनो. १३९. ४. क. झूझाउवा. १४०. १. ठ. वणो बाटि. ४. च. भंडारथी बाती. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78