Book Title: Ratnachuda Rasa
Author(s): H C Bhayani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 38
________________ रत्नचूड-रास रे क्षत्री तू घोडउ राखि आगिलि साहमुं जोइ-न आंखि पाणोहारि हीडइ छइ बहू नगर-माहि झगरासिइ सहू ११२ राइ भणइ तू घोडउ साहि नगर तुम्हारडं जोऊं माहि वलतउं रोहउ बोलइ इसिउं जण तुम्हारउ हूं छउँ किसिउं ११३ राइ नगर दीठउं सश्रीक छोकरडउ केहवउ निरभीक पाछलि परिघउ आविउ ताम कहउ बालक-न किसिउं नाम ११४ कसेलवट नउ ए दीकिरउ बुद्धिवंत छइ ए छोकरउ रोहउ कहियइ एह-नउं नाम वसइ वासि नट्टावा-गामि ११५ एह नी मति दीसइ छई खरी प्रधान कीजइ परीक्षा करी राउ विमासी राउलि गयउ कोहेडउ एक अएरव भयउ ११६ हाथी एक वडउ पाठविउ पाछलि बोल इसिउ आठविउ मूउ इहां न कहिवउं सही अणकहिवइ पणि रहिवलं नही ११७ हाथी तिहां दिवंगत हूउ लोक विमासई बोल जूजूउ कहइ नइ हिव कीजीसिइ किसिउं राउलउं वचन आविउ छइ इसिउं ११८ परिसरि आवी बइठा बहू राउरउं जण ए जाणइ सहू आडंबर मंडाणउ इसिउ तेह-माहि-थउ कसेलवट खिसिउ ११९ रोहउ भणउ असूरा तात तउं नवि जाणइ गाम-नी वात राउलउ हाथी गाम-माहि मूउ तेह-नउ ऊतर कुणई नवि हूउ १२० ११२. ३. ४. ग.मां ऊलटांसुलटां; ग. डगरासि; च. हीडइ छइ: ठ. सहित. ११३. ४. झ. नफर. ११४. १. क.ख. श्रीकार; घ. तव सही, च. नर. २. क. करिउ विचार. ३. च. पायक. ११५. १. ख. हुं कसेलवनु, ग. कसेलवनु; घ. कसल नटावानु; च. भरत; ठ. फसेलहत्थ. ११६. ४. क कुहेडउ, कहिउ; ग. कोहिड्ड; च. कयो; ठ. कोहेडिंउ, कहिउ. ११७. २. ठ. ऊरि. ३. क. म कहिसिउ. ४. ग. पुण, ११८. ४. झ. राउलि ऊतर सिउ आपसि. ११९. १. ख. परसइ; ग. फरस. २. ख.झ. वचन जणाव्यउं; ग. जाणो; च. छल. घ, फलहि; च. पासे. ३. क. आडइ धंधु मांडणउ इसिउ; ग. आ डांघु; घ. कुहिड: च. आगे मांडण; झ. षोषींदर. ठ. उडबलु.४. ख. माहिल; ग. कसेलच न; घ. क्रसलु: च. भरत नटाबो; झ. किणइ न ऊतर थाइ किसिउ; ठ. अवसरि बिठा विमासि हसिउ. ११९. पछी झ.ट. मां वधारो; कसेलवट तेह मांहि अछइ, किणइ ऊतर दीधु पर्छइ । वात विमासी सहू ऊठीया, सज्ञ समइ सह को घरि गया. १२०. १. ख. अबूझ्या, झ. असूया. रत्न-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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