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[ १७ ]
अब राजा ने उस नगर में रहना उचित न समझ कर वहां से राजा मान की नगरी पाणंदपुर को कूच किया। वहां जाकर तालाब पर स्नानादि करने लगा। अनेक सहेलियों के साथ राजकुमारी भी वहां पानी भरने आई थी। उसने इस सुन्दर युवक की ओर कटाक्ष किया, तथा दोनों में सांकेतिक ढंग से एक दूसरे के प्रति अनुराग व्यक्त हुआ। रिसालू वहां से सीधा मालिन के घर पहुंचा जिसने जवाई के आने की खबर राजा के दरबार में पहुंचाई। राज-लोक में बड़ी खुशियां मनाई जाने लगीं। रिसालू का स्वागत किया गया। वह राजमहलों में ठहरा । रात पड़ने पर राजकुमारी सोलह शृंगार कर अपने पति से मिलने आई तो महल का दरवाजा बंद था। उसने दरवाजा खटखटाया। अनेक प्रकार के प्रेम-भरे उलाहने कोमल शब्दों में देने लगी, पर दरवाजा न खुला। इतने में वर्षा प्रारंभ हो गई । राजकुमारी ने दरवाजा खुलवाने का यह कह कर प्रयत्न किया कि मेरा श्रृंगार भीग रहा है, अब तो यह मजाक छोड़ो। दरवाजा फिर भी न खुला, तब उसने अपनी दासी से कहा-इसे तो थकावट के कारण नींद आगई है। मैं अपने प्रेमी का वायदा तो निभा आऊं। रिसालू तो नींद का बहाना करके सोया हुआ था। उसने सभी बातें सुनली । राजकुमारी जब महलों से नीचे उतरी तो वह उसके पीछे हो लिया । राजकुमारी सीधी प्राणनाथ सुनार के यहाँ गई । बरसती हुई रात में दरवाजा खुलवा कर अंदर गई तो प्राणनाथ ने उसे देर से आने पर बुरी तरह डांटा। राजकुमारी ने बड़ी विनम्रता के साथ माफी. मांगते हुए अपने दुष्ट पति के आ जाने की बात कही। तब तो सुनार और भी बिगड़ा और कहने लगा-तब तो तू इसी तरह टालमटोल करती रहेगी। तब राजकुमारी ने उसी विनम्र भाव से उसे आश्वासन दिया कि चाहे जितनी देर हो जाय किन्तु मैं आपकी हाजरी अवश्य बजाऊंगी। रिसालू यह सब कुछ दरवाजे के पास बैठा हुआ चुपके से देख रहा था। उसने उनके संभोग की उन्मुक्त क्रीड़ायें भी देखीं। प्रभात हो गया। राजा राणी से पहले अपने महल में आकर सो गया। कोई पहचान न ले, इसलिए राणी भी पुरुष का वेश धारण कर महलों में पहुंची। राजा को जगाया तो वह बनावटी निद्रा से आलस मरोड़ता हुआ उठा। राणी ने रात को दरवाजा न खोलने के लिए बड़े मान और प्रेम भरे वाक्य राजा को सुनाये ।
कुछ समय पश्चात् राजा ने कहा कि उसे कुछ सोने का काम करवाना है अतः सुनार को बुलवाया गया। राणी भी वहीं उपस्थित थी। राजा ने सूनार से बातचीत प्रारंभ की। उसने देखा कि सुनार और राणी की प्रेमभरी नजरें बार-बार आपस में टकरा रही हैं। उसने उपयुक्त अवसर देख कर पानी को
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