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लड़की एक पुरुष द्वारा शिशु-अवस्था से ही पाल पोष कर बड़ी की गई हो, उसके प्रति पिता का सा आदर और अनुराग की भावना का होना स्वाभाविक ही है। उसे अपना प्रेमी बना लेने की कल्पना बहुत कठिन है। ऐसी स्थिति में प्रेमातुर पिपासा के वशीभूत वह अपना नवविकसित यौवन हठमल को अर्पित कर देती है। उसका प्रेम वास्तव में सच्चा है, इसीलिये वह योगी के साथ न जाकर हठमल की चिता में जल मरती है।
राजा मान की लड़की के साथ रिसालू की शादी कोई ११-१२ वर्ष पहिले हो चुकी थी। क्योंकि रिसाल को देश निकाला मिल चुका था और उसका निश्चित पता भी मालूम नहीं था, ऐसी अवस्था में सुनार के लड़के से उसका प्रेम हो गया। सुनार जैसे साधारण व्यक्ति से एक राजकुमारी का प्रेम होना चौंका देने वाली बात अवश्य है, किन्तु इसके पीछे संपर्क की सुविधा विशेष कारण प्रतीत होती है क्योंकि सुनार लोग प्राय: रनिवास में गहने आदि बनाने के संबंध में बातचीत करने पहुंच जाया करते होंगे । रिसाल को जब उनके प्रेमसंबंध का पता लग गया तो उसने सुनार को ही राजकुमारी देदी और वह उसे अपने घर ले गया। इससे एक ओर जहां रिसाल की उदारता प्रकट होती है वहां राजा मान की घरेलू व्यवस्था का भी पता चलता है। राजकुमारी के चरित्र के बारे में घर वालों को सब कुछ मालूम हो जाने पर भी वे राजकुमारी को उसी समय किसी प्रकार का उलाहना या दण्ड नहीं देते अपितु रिसाल से ही प्रार्थना करते हैं कि वे इतनी सुन्दर राजकुमारी का परित्याग इस प्रकार को घटना के कारण न करें और सारी बात को वहीं पर दबा कर उनके घर की प्रतिष्ठा को बचाने में सहयोग दें। रिसालू का कोई भी बात नहीं मानना स्वाभाविक है क्योंकि कोई भी व्यक्ति, दुश्चरित्र नारी को जान-बूझ कर पत्नी के रूप में स्वीकार करना नहीं चाहता।
राजा रिसाल के जीवन में इस प्रकार की घटनाओं के घटने से नारी-जाति के प्रति उसका विश्वास उठ-सा गया था। फिर भी वह अपनी एक और विवाहिता रानी राजा भोज की राजकुमारी को भी परख लेना चाहता था । निश्चित अवधि समाप्त हो जाने पर वह अपने वायदे के अनुसार उज्जैनी नगरी पहुंच गया। न मालूम इस बीच में कितनी उलटी-सीधी कल्पनायें राजा भोज की लड़की के संबंध में की होंगी। परन्तु ज्यों ही वह वहां पहुंचा, उसने देखा कि अवधि के समाप्त हो जाने के कारण राजकुमारी चिता में जल कर भस्म हो जाने को तैयार है । तब उसे विश्वास हुआ कि सभी स्त्रियां एक सी नहीं होती।
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