Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 03
Author(s): Lakshminarayan Dixit
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 23
________________ [ १६ ] जाता था। जब हठमल को उसका पता लगा तो वह स्वयं एक रात उसको शिकार करने के लिये वहां पाया । हठमल उसका पीछा करता-करता रिसाल के महल के पास वाले बगीचे तक आ पहुंचा। रात अधिक हो जाने के कारण वह वहीं सो रहा । उधर जब बहुत देर तक हिरण वापिस नहीं आया तो रिसालू स्वयं उसकी खोज में बाहर निकल पड़ा। रानी ने प्रभात में जब महल से बाहर झांका तो बड़े निश्चित ढंग से हठमल अपने दाढ़ी के बाल संवारता हुआ, अलसायी हुई आँखों से झरोके की तरफ देख रहा था। राणी ने भी निश्चिन्तता, साहस और मदभरी अांखें देखी तो वह उस पर आसक्त हो गई। रिसाल तो बाहर गया हुआ था ही, रानी के संकेत पर हठमल महलों में पहुंच गया और दोनों प्रेम-क्रीड़ा करने लगे : सुग्गा-सुग्गी को यह असह्य हुआ तो उन्होंने उसे टोक कर अपना कर्तव्य पूरा करना चाहा । परन्तु उनकी इस गुस्ताखी की सजा रानी ने सुग्गी के पर नोंच कर उसी समय दे दो । सुग्गा फौरन उड़ कर सभी बातों की खबर राजा को दे पाया। राजा पहुंचा तब तक हठमल वहां से रवाना हो चुका था। राजा ने रानो के सब रंग ढंग देखे तो उसे संशय हुए बिना न रहा । दूसरे दिन राजा सुग्गे को साथ ले घूमने निकला। कुछ दूर जाने पर सुग्गा उड़ कर पुनः महल पर पाया । उस समय हठमल रानो के साथ प्रेम-क्रीड़ा कर रहा था। सुग्गे ने फौरन इसकी सूचना राजा को दे दी और फिर महल पर आकर व्यंगात्मक ढंग से उन्हें कुकर्म करने की सजा मिलने का संकेत किया । हठमल ने आने वाले खतरे को भांप लिया और काम में उन्मत्त रानी से बड़ी कठिनाई के साथ विदा लेकर घोड़े पर वहां से निकला। रास्ते में ही हठमल और राजा में मुठभेड़ हो गई। हठमल राजा के भाले से मारा गया। रानी से दुश्चरित्र का बदला लेने के लिये वह हठमल का कलेजा उसके पास ले गया और उसे शिकार का मांस बता कर, पका कर खाने को कहा। रानी ने ऐसा ही किया। रानी राजा की नजरों से गिर ही चुकी थी। संयोग से एक योगी अपनी स्त्री को खो चुकने के बाद दूसरी स्त्री की मनोकामना लेकर राजा के पास उपस्थित हुआ। राजा ने अपनी रानी उसे देदी । योगो के साथ रानो रवाना तो हो गई परन्तु उसके मन में अनेक प्रकार के संकल्प-विकल्प उठ रहे थे। आगे जाकर उसने देखा तो हठमल रास्ते में मरा पड़ा था। उसे कौए नोंच रहे थे। मन ही मन रानी अपने प्रेमी की यह दशा देख कर विलाप करने लगी। जोगी को कह कर उसे जलाने के लिए चिता बनवाई, और जोगी को पानी लाने के बहाने तालाब पर भेज कर पीछे से हठमल की देह के साथ जल मरो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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