Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ix ) १४. खेती - खेत, धान्य, हल, बैलगाड़ी, कुपा, कोष, कृषक, पाणेती और • इनसे संबंधित । १५. भाषा, शिक्षा-१. राजस्थानी, हिन्दी, महाजनी, अपभ्रंश इत्यादि से संबंधित । २. शिक्षा के अनेक अंग-विद्याएँ, शास्त्र, कलाएँ, विद्यार्थी, अध्यापक, अध्ययन और अध्यापन । ३. व्याकरण । १६. साहित्य-गद्य, कविता, छंद, गीत, रस, अलंकार, साहित्य के प्रकार, लोक साहित्य इत्यादि । लेखन सामग्री, पुस्तकें इत्यादि। १७. पशु-पक्षी-कीटादि(i) पालतू पशु-१. गाय, भैंस, आदि दुधारू (धोणो) से संबंधित दूध, दही, छाछ, मक्खन, घी, चमड़ा, बिलौने का समान । २. ऊँट, घोड़ा, हाथी, बैल-सवारी के पशु और उनकी सजावट का सामान । ( ii) इतर-पशु-पक्षी, कीट-पतंगे । समुद्री जीव । (iii) इन सबसे संबंधित घास, चारा, दाना, चुग्गा इत्यादि । १८. व्यापार-दुकानदारी, सट्टा, दलाली, पाढ़त, लेन-देन, चिट्ठी-पत्री हुंडी, दस्तावेज (खत), बहीखाता, ब्याज-काटा इत्यादि । १६. राज दरबार-महल, पासवान, नाजर, रणवास । राज परिवार, राजा, जागीरदार, छुटभाई, जागीरी, गोला लवाजमा, विरुद, ताजीम, पुरस्कार । २०. शासन-लगान, जकात, नेग, अधिकारी। २१. युख-सेना, शस्त्र-अस्त्र, योद्धा, जूझार, जोहर, युद्ध-क्षेत्र । २२. चलन-सिक्के, तोल, माप, नाप। २३. भूगर्भ-खाने, खनिज पदार्थ, धातुएँ। २४. विविध-(१) गुण-अवगुण, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक । (२) शारीरिक शक्तियां। (३) मानसिक शक्तियाँ। (४) रंग, रंगोली। संक्षिप्त में प्रयत्न यह रहा है कि कोश को सर्वांगपूर्ण बनाने के लिये कोई विषय अछूता नहीं रहे । For Private and Personal Use Only

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