Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Prachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur

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Page 9
________________ 4 'साहित्यरत्न' प्रेस के लिये तैयार है । चतुर्थ पुस्तक 'मेवाड़ की कहावते' भाग-२, सम्पादक श्रीयुत्, पं० लक्ष्मीलाल जोशी एम० ए० एल० एल० बी० का कार्य भी चल रहा है । मेवाड़ के विभिन्न विभागो से लगभग ६०० लोकगीतो का संग्रह कार्य किया जा चुका है । इनमे भील गीत मुख्य हैं । स्व० डॉ० गौरीशंकर हीराचन्द ओझा के निबन्ध चार भागो मे प्रकाशित किये जावेंगे। नवीन खोज के अनुसार टिप्पणियां जोड़ने का महत् कार्य कृपा कर श्रीयुत् , डॉ० रघुबीरसिह एम० ए०, डी० लिट, एल एल० बी०, महाराजकुमार सीतामऊ ने प्रारंभ कर दिया है और प्रथम भाग शीघ्र ही प्रेस मे दिया जाने वाला है । महाकवि सूर्यमल आसन के तृतीय अभिभाषक श्रीयुत् , डॉ. सुनीतिकुमार चाटुा एम० ए०, डी० लिद, अध्यक्ष भाषातत्त्वविभाग कलकत्ता विश्वविद्यालय के 'राजस्थानी भाषा' विषयक भाषण प्रेस मे हैं । शोध-पूर्ण निबन्धो के प्रकाशनार्थ और शोध-कार्य को प्रगति देने के उद्देश्य से त्रैमासिक 'शोध-पत्रिका' का प्रकाशन भी चैत्र सं० २००४ वि० से प्रारंभ किया गया है। संस्थान का संग्रह-कार्य भी प्रगति पर है । प्राप्त जमीन पर संग्रहालय का भवन निर्मित होते ही संग्रहालय की उपयोगिता और प्रगति कई गुनी बढ़ जायगी। कई कठिनाइयो को सहते हुए भी इस प्रकार शोध-संस्थान अपने ध्येय की और अग्रसर हो रहा है। राजस्थान मे हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्थो की खोज का कार्य सर्वथा नवीन और महत्त्वपूर्ण है । यह बहुत आवश्यक है कि समस्त राजस्थान मे खोज का यह प्रारम्भिक कार्य शीघ्रातिशीघ्र समाप्त हो जाय । राजस्थान के विद्वानो, धनी-मानी सज्जनो और रियासती सरकारो की पूरी पूरी सहायता इसके लिये पूर्णतया अपेक्षित है इसी से यह संभव है। आशा है राष्ट्रनिर्माण के इस महत्वपूर्ण कार्य मे शोध-संस्थान को अवश्य ही पूर्ण सहयोग मिलेगा। उदयपुर विद्यापीठ सरस्वती मन्दिर, ) प्राचीन साहित्य शोध-संस्थान, कार्तिक कृष्णा ७, २००४ वि० पुरुषोत्तम मेनारिया सञ्चालक

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