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इन्द्र व इन्द्राणियाँ प्रतिष्ठाकारक के प्रतिनिधि, पूजक, सुन्दर, सद्गुणवान, युवा, आभरण भूषित, श्रद्धावान्, निष्पाप, अशुद्ध भोजन-पान रहित होते हैं। इन्द्रों में सौधर्म, ईशान, सनत्कुमार, महेन्द्र, ब्रह्म, लाँतव, शुक्र, शतार, आनत, प्राणत, आरण, अच्युत तथा इनकी एक-एक इन्द्राणियाँ दीक्षित होकर संयमपूर्वक प्रतिष्ठा में अपना-अपना नियोग (कर्तव्य) पूर्ण करें। सभी इन्द्र-इन्द्राणियाँ भोजन एक बार करें और रात्रि को चारों प्रकार के आहार का त्याग करें । प्रतिदिन शान्ति मन्त्र का जाप करें।
कुबेर के कार्य हेतु भी किसी को दीक्षित करावें । इन्द्र-इन्द्राणियाँ पूजा के शुद्ध वस्त्र अलग रखें। मन्त्र से दीक्षित हो जाने पर प्रतिष्ठा पूर्ण होने तक सूतक-पातक इन्हें नहीं लगता।
प्रतिष्ठा मुहर्त प्रतिष्ठा मुहूर्त जिनेन्द्र प्रतिमा को विराजमान करने का प्रमुख रूप से माना जाता है। अन्य मुहूर्त उसके अनुसार किये जाते हैं।
"देव मूर्ति प्रतिष्ठायां स्थिर लग्नोत्तरायणे" दिगम्बर जैन प्रतिष्ठा में मूर्ति प्रतिष्ठा उत्तरायण सूर्य में ही होती है। अन्य देवी-देवताओं की प्रतिष्ठा दक्षिणायन में भी होती है। डॉ. नेमिचन्द्र ज्योतिषाचार्य ने 'भारतीय ज्योतिष के अन्तर्गत "मुहूर्त दर्पण" (पृ. १४-१५) में इसकी पुष्टि की है। श्रावण माह से पौष तक दक्षिणायन और माघ से ज्येष्ठ तक उत्तरायण सूर्य होता है। राशि की दृष्टि से १०वीं मकर के सूर्य से मिथुन तक उत्तरायण और कर्क ४थी राशि से ९वीं धनु तक दक्षिणायन कहलाता है।
प्रतिष्ठा हेतु पुनर्वसु, उत्तरा-फाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढ़ा, पुष्य, हस्त, श्रवण, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मृगशिरा नक्षत्र वसुनंदि व जयसेनाचार्य के अभिमत से श्रेष्ठ हैं। चित्रा, मघा, भरणी, मूल ये नक्षत्र भी सामान्य रूप से शुभ हैं।
सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार ये प्रतिष्ठा में ग्राह्य हैं । १, २, ५, १०, १३, १५ ये शुक्ल पक्ष की तिथियाँ मान्य हैं । मीन के सूर्य में जो प्रायः चैत्र में आता है, प्रतिष्ठा त्याज्य है । कृष्ण पक्ष में पंचमी तक प्रतिष्ठा की जा सकती है, उसमें १, २, ५ तिथि अच्छी है। गुरु व शुक्र तारा के अस्त होने पर प्रतिष्ठा नहीं होती । मल मास (९ वें सूर्य) में भी प्रतिष्ठा नहीं हो सकती।
(मुहूर्त दर्पण व शीघ्र बोध तथा वृहदवकहडाचक्रम् ५०-५१)
सिद्धि योग चक्र वार रवि सोम मंगल बुध गुरु शुक्र तिथि ८
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(आ. वसुनंदि-जयसेन प्रतिष्ठा पाठ, पद्य १८९ से १९५)
[प्रतिष्ठा-प्रदीप]
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