Book Title: Pratikraman Sutra Sachitra Author(s): Bhuvanbhanusuri Publisher: Divya Darshan TrustPage 21
________________ COce S AA DO AR DEO BAMBAR 125 HDEE सीPANCE A PRESS. R es लोगस्स उज्जोअगरे धम्मतित्ययरे जिणे अरिहंते कित्तइस्स चउवीसं पि केवली ।। GOOD GOOD उसभ मजिअं च वंदे P सभव CIED 10 DOI मभिणंदणं च सुमइं च । पउमप्पह सुपासं जिणं च चंदप्पहं. वंदे ॥ कुंथु अरं च मल्लि सुविहिं च पुप्फदंतं 6 सुविहिं च पुष्पदंतं 0 सीयल सिज्जंस वासुपूज्जं च वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च । R विमल मणंतं च जिणं वंदामि रिट्ठनेमि धम्म संतिं च वंदामि एवं मए अभिथुआ वियस्यमला पहीणजरमरणा कित्तिय-वंदिय-मडिया जे ए लोगस्स उत्तमा सिद्धा चदेसु निम्मलयरा आइच्चेसु अहियं पयासयरा । पास तह वद्धमाण च ।। चउवीसं पि जिणवरा तित्थयरा मे पसीयतु ।। आरुग-बोडिलाभं समाहिवरमत्तमं दित ।।। सागरवरगभीरा सिद्धा सिद्धिं मम दिसतु ।। DECEditation itemational te & Personal uso UPoudiairnelibrary.ckeray-2Page Navigation
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